नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को लीज पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को संबोधित किया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डों को पट्टे पर देने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। फरवरी 2019 में प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद पीपीपी मॉडल के माध्यम से अडानी एंटरप्राइजेज ने छह हवाई अड्डों ‘लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी’ के परिचालन के अधिकार हासिल किये थे।
ये छह हवाई अड्डे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के स्वामित्व में हैं। अडानी एंटरप्राइजेज ने 14 फरवरी 2020 को एएआई के साथ तीन हवाई अड्डों ‘अहमदाबाद, मंगलुरु और लखनऊ’ के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंत्रिमंडल ने पीपीपी मॉडल के माध्यम से जयपुर, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों को पट्टे पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राज्य की DISCOMs को राहत देने के लिए पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन इनको वर्किंग कैपिटल 25 फीसदी आधी लोन देने का जो अधिकार था वो इस साल वर्किंग कैपिटल लिमिट से ऊपर मिलेगा। मंत्रिमंडल ने समान पात्रता परीक्षा कराने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन को मंजूरी दी।
कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आज नौकरी के लिए युवाओं को बहुत परीक्षाएं देनी पड़ती है। यह सब समाप्त करने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (एनआरए) अब कॉमन एलिजबिलिटी टेस्ट (सीईटी) लेगी। इससे युवाओं को लाभ होगा।केंद्रीय सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं।
कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी हम केवल तीन एजेंसियों की परीक्षा कॉमन कर रहे हैं, समय के साथ हम सभी भर्ती एजेंसियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट करेंगे। CET की मेरिट लिस्ट 3 साल तक मान्य रहेगी जिसके दौरान उम्मीदवार अपनी योग्यता और पसंद के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 1 करोड़ गन्ना किसानों के लिए लाभकारी मूल्य बढ़ाकर 285 रु. प्रति क्विंटल निश्चित हुआ है। ये 10% रिकवरी के आधार पर है। अगर रिकवरी 9.5% या उससे भी कम रहती है तो भी गन्ना किसानों को संरक्षण देते हुए 270 रु. दाम मिलेगा। इथेनॉल भी सरकार अच्छे दाम पर लेती है। सरकार ने पिछले साल 60 रु. प्रति लीटर के दाम पर 190 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा था।
मंत्रिमंडल ने पैकेज के तहत वितरण कंपनियों के लिये कार्यशील पूंजी सीमा नियम में छूट दी
सरकार ने बुधवार को उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना) योजना के तहत वितरण कंपनियों के लिये कर्ज लेने को लेकर कार्यशील पूंजी सीमा नियम में ढील देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। वितरण कंपनियों के लिये यह कर्ज 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की योजना का हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बिजली क्षेत्र में समस्या है। बिजली खपत में नरमी है।
वितरण कंपनियां बिल संग्रह नहीं कर पा रही हैं। इसको देखते हुए पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) और आरईसी को 25 प्रतिशत कार्यशील पूंजी सीमा से अधिक कर्ज देने की अनुमति दी गयी है। इससे राज्यों की वितरण कंपनियों के पास नकदी बढ़ेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कार्यशील पूंजी सीमा पिछले साल की आय का 25 प्रतिशत है। अब इस सीमा में ढील दी गयी है।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में कोविड-19 राहत पैकेज तहत नकदी संकट और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये ‘लॉककडाउन’ के कारण मांग में कमी से जूझ रही वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की थी। हालांकि कुछ वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज लेने के लिये पात्र नहीं थी क्योंकि वे उदय योजना के अंतर्गत कार्यशील पूंजी सीमा नियमों को पूरा नहीं कर रही थी। उदय योजना के तहत बैंक और वित्तीय संस्थान वितरण कंपनियों की पिछले साल की आय के 25 प्रतिशत तक कार्यशील पूंजी कर्ज दे सकते थे। यह पाबंदी उदय योजना का हिस्सा थी।
कर्ज में फंसी वितरण कंपनियों को पटरी पर लाने के प्रयास के तहत नवंबर 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उदय योजना को मंजूरी दी थी। इसके अलावा, वितरण कंपनियां पैकेज के तहत राज्यों से प्राप्त होने वाली राशि के एवज में कर्ज ले सकती थी ताकि वे बकाये का निपटान कर सके। लेकिन कुछ वितरण कंपनियों के पास दोनों प्रावधानों के अंतर्गत गुंजाइश नहीं थी। इसीलिए, बिजली मंत्रालय ने कार्यशील पूंजी सीमा नियम में ढील देने का प्रस्ताव किया ताकि ये वितरण कंपनियां पैकेज के तहत कर्ज ले सके और बकाये का भुगतान कर सके।