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भारत को G7 सम्मेलन में बुलाने को लेकर असमंजस में है जर्मनी? रिपोर्ट में दावा- यूक्रेन-रूस विवाद में इण्डिया के रुख पर चर्चा के बाद होगा फैसला

By विशाल कुमार | Updated: April 13, 2022 12:46 IST

इस गोपनीय जानकारी को साझा करने वाले लोगों ने बताया कि जर्मनी बवेरिया में होने वाली बैठक में सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया को अतिथि के रूप में शामिल करने के लिए तैयार है, लेकिन भारत विचाराधीन है।

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ठळक मुद्देभारत यूक्रेन में युद्ध शुरू होने से पहले तैयार की गई सूची में था लेकिन उस अंतिम निर्णय नहीं लिया गया था।रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करने वाले मतदान से भारत अनुपस्थित था।भारत ने रूस पर न तो कोई प्रतिबंध लगाया बल्कि एक बड़ा खरीददार भी है।

बर्लिन: यूक्रेन पर हमले बाद रूस की निंदा नहीं करने पर जर्मनी इस बात पर चर्चा कर रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जून में आयोजित होने वाले G-7 सम्मेलन में आमंत्रित किया जाए या नहीं।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर इसकी जानकारी दी है। इस गोपनीय जानकारी को साझा करने वाले लोगों ने बताया कि जर्मनी बवेरिया में होने वाली बैठक में सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया को अतिथि के रूप में शामिल करने के लिए तैयार है, लेकिन भारत विचाराधीन है।

लोगों में से एक ने कहा कि भारत यूक्रेन में युद्ध शुरू होने से पहले तैयार की गई सूची में था लेकिन उस अंतिम निर्णय नहीं लिया गया था।

बता दें कि, भारत उन 50 से अधिक देशों में शामिल था, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के वोट से परहेज किया और रूस पर प्रतिबंध नहीं लगाया। यह रूसी हथियारों का एक महत्वपूर्ण खरीदार है, जो कहता है कि उसे अपने पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान को रोकने की जरूरत है।

जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टीफन हेबेस्ट्रेइट ने कहा कि जैसे ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा, बर्लिन मेहमानों की अपनी सूची पेश करेगा। हेबेस्ट्रेइट ने कहा कि चांसलर ने बार-बार साफ किया है कि वह अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को प्रतिबंधों में शामिल होते देखना चाहते हैं।

जहां रूसी ऊर्जा आयात पर अपनी निरंतर निर्भरता के लिए जर्मनी खुद यूक्रेन और पोलैंड सहित सरकारों की आलोचना के घेरे में आ गया है। तो वहीं, जर्मन कंपनियों  के रूसी प्राकृतिक गैस पर बहुत अधिक निर्भर होने के बावजूद जर्मनी ने उस निर्भरता को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। जी-7 देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में अग्रणी भूमिका निभाई है और कुछ ने यूक्रेन को हथियार भेजे हैं।

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