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यूक्रेन संकट: कांग्रेस ने साधी चुप्पी, पार्टी नेता दो धड़ों में बंटे, मनीष तिवारी बोले- मित्रों को गलती का एहसास करना जरूरी

By विशाल कुमार | Updated: February 26, 2022 13:03 IST

कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने से चले आ रहे रूस के साथ ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए भारत को संतुलन रुख अपनाना चाहिए तो कुछ नेताओं का मानना है कि किसी भी कीमत पर रूस के कदम की निंदा की जानी चाहिए।

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ठळक मुद्देकांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि भारत को संतुलन रुख अपनाना चाहिए।कुछ नेताओं का मानना है कि किसी भी कीमत पर रूस के कदम की निंदा की जानी चाहिए।मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार को रूस को बताना चाहिए कि वह गलत है।

नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत सरकार जहां अपनी वैश्विक नीति को लेकर दोराहे पर खड़ी है तो वहीं विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने भी चुप्पी साध रखी है। हालांकि, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस पर अपने विचार रख रहे हैं लेकिन उनके रुख अलग-अलग हैं।

कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने से चले आ रहे रूस के साथ ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए भारत को संतुलन रुख अपनाना चाहिए तो कुछ नेताओं का मानना है कि किसी भी कीमत पर रूस के कदम की निंदा की जानी चाहिए।

पूर्व विदेश मंत्री और पार्टी की विदेश मामलों के विभाग के प्रमुख आनंद शर्मा ने कहा कि हम केवल अपनी गंभीर चिंता व्यक्त कर सकते हैं और युद्ध को तत्काल समाप्त करने की अपील कर सकते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए रुख में शामिल होने से इनकार करते हुए शर्मा ने कहा कि हम और क्या कर सकते हैं। सोवियत संघ के पतन के बाद रूस और नाटो के बीच समझौते हुए। रूस-नाटो समझौता है, मिन्स्क समझौता है...चार समझौते हैं। नाटो और अमेरिका द्वारा भी उल्लंघन किया जा रहा है।

हालांकि, मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार को स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए और रूस को बताना चाहिए कि वह गलत है। उन्होंने कहा कि रूस वास्तव में एक लंबे समय का मित्र है लेकिन एक समय आता है जब आपको मित्रों को यह बताने की आवश्यकता होती है कि वे गलत हैं। यूक्रेन पर आक्रमण अंतरराष्ट्रीय संबंध के हर सिद्धांत के खिलाफ जाता है। यह मिन्स्क समझौते का खंडन है। भारत को इस पर एक साफ रुख अपनाने की आवश्यकता है।

वहीं, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत ने लगातार संप्रभु सीमाओं की बल और हिंसा के माध्यम से परिवर्तन न करने के सिद्धांतों को बरकरार रखा है और दूसरों पर हमला करने वाले देशों के खिलाफ आवाज उठाई है। 

उन्होंने कहा कि रूस एक मित्र है और तत्काल सीमाओं पर रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताएं समझ में आती हैं, लेकिन भारत उन महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर चुप नहीं रह सकता, जिनका उसने इतने समय में पालन किया था।

बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बात करके हिंसा की तत्काल समाप्ति की अपील की थी।

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए अमेरिका के प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित रहा।

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