नई दिल्ली: नये संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने पर हैं। विपक्ष की ओर से मौजूदा सरकार पर संसद भवन परिसर में धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन, विपक्षी नेताओं को नहीं बुलाए जाने और संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन करने जैसे आरोप लगाए हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर नए लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ में बदलाव जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं।
आप के संजय सिंह ने उठाया सवाल
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, 'मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये।'
संजय सिंह ने जिस ट्वीट को रिट्वीट किया है, उसमें अभिषेक गोयल नाम के यूजर ने अशोक स्तम्भ की नई और पुरानी तस्वीरो को ट्वीट करते हुए लिखा, आप स्वतः ही निष्कर्ष निकालें...नीचे हमारे राष्ट्रीय चिन्ह की 2 तस्वीरें हैं। एक में सिंह जिम्मेदार शासक की तरह गंभीर मुद्रा में दिख रहा है और दूसरे में सिर्फ आदमखोर शासक की भूमिका मे खौफ फैलाने जैसा….'
इस ट्वीट के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगी। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया, 'संजय सिंह जी, भगवंत मान जी वाली दवाई पीकर ट्वीट मत किया कीजिये , आप झेल नहीं पाते। अशोक चिन्ह के शेर को आदमखोर कह कर आप केवल खुद की बची खुची इज्जत का केजरीवाल बनवा रहे हो।'
कई यूजर ने लिखा कि, 'अंकल नीचे से फ़ोटो है वो और साइज़ में बड़ा है तो लग रह वैसा। इसमें देखो सामने से अब तो नहीं लग रहा ख़ूँख़ार।'
इससे पहले सोमवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका के अधिकारों को पृथक करता है। सरकार का प्रमुख होने के नाते, प्रधानमंत्री को नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था। लोकसभा के अध्यक्ष लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं और लोकसभा सरकार के अधीन नहीं है। प्रधानमंत्री ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है।'
वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री का यह कदम 'भारतीय संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है।'
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता मजीद मेमन ने सवाल किया कि सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने के लिए आयोजित कार्यक्रम से विपक्षी नेताओं को दूर क्यों रखा। राज्यसभा के पूर्व सदस्य मेमन ने कहा कि संसद भवन के कार्यक्रम में विपक्ष को आमंत्रित नहीं करना किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक बड़ी खामी है।
कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उसके एक नेता और भाजपा के पूर्व सांसद उदित राज ने संसद भवन परिसर में हिंदू रीति-रिवाजों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि क्या यह भाजपा से जुड़ा हुआ है? हिंदू रीति-रिवाजों का पालन किया गया, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। अन्य राजनीतिक दलों को क्यों आमंत्रित नहीं किया गया? भारतीय लोकतंत्र खतरे में है।
(भाषा इनपुट)