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वाराणसी, मथुरा की मस्जिदों से होते हुए बात पहुंची दिल्ली के जामा मस्जिद तक, हिंदू महासभा ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, जानिए क्या कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 18, 2022 17:33 IST

हिंदू महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद में भी कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जिन्हें तलाशकर निकालने की जरूरत है।

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ठळक मुद्देहिंदू महासभा ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर दिल्ली के जामा मस्जिद को खोदने की मांग की है हिंदू महासभा का आरोप है कि जामा मस्जिद में भी कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैंऔरंगजेब ने हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को जामा मस्जिद के चबूतरे और सीढ़ियों के नीचे दफनवाया है

दिल्ली:ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे के बाद निकले शिवलिंग के मामले में सुप्रीाम कोर्ट ने जैसे ही मस्जिद के वजूखाने को सील करने का आदेश दिया। उसके साथ ही मथुरा के कोर्ट में एक याचिका विवादित ईदगाह मस्जिद को लेकर दायर कर दी गई कि वहां भी हिंदू मंदिर के चिन्ह मौजूद है, लिहाजा कोर्ट उसे भी सील करने का आदेश दे। वैसे मथुरा वाले में मामले में पड़ी याचिका पर लोअर कोर्ट ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया है।

इस बीच देश की राजधानी दिल्ली से बड़ी खबर आ रही है कि हिंदू महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद के तहखाने में कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जिन्हें तलाशकर निकालने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रमुख स्वामी चक्रपाणि ने कहा है कि मुगलों ने भारत की हिंदू संस्कृति का अपमान करने के लिए सभी मंदिरों को गिराकर उनकी जगह मस्जिद बनवा दी।

अपनी बात को साबित करने के लिए चक्रपाणि ने अयोध्या, मथुरा और काशी का हवाला देते हुए लिखा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को जामा मस्जिद के चबूतरे और सीढ़ियों के नीचे दफनवाया है, जिसे खोदकर निकालने जरूरत है ताकि उन मूर्तियों की दोबारा से पूजा-अर्चना की जा सके।

इससे पहले वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया गया, जिसमें हिंदू पक्ष द्वारा मस्जिद के वजूखाने में 'शिवलिंग' मिलने का दावा किया जा रहा है। वहीं मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जिस जगह पर शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है, उस क्षेत्र को सील कर दिया जाए और बाकि परिसर में मुसलमानों को नमाज अदा करने की पूरी छूट है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। बेंच ने सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष से कहा कि वाराणसी कोर्ट में दायर किया गया मामला मालिकाना हक का नहीं है बल्कि उसमें तो श्रृंगार गौरी की पूजा करने की मांग की गई है।

वहीं मु्स्लिम पक्ष वाराणसी कोर्ट के सर्वे के आदेश को 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' का उलंघन मानते हुए कड़ी आपत्ति जता रहा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 19 मई को अगली सुनवाई करेगा।

जानकारी के मुताबिक वाराणसी कोर्ट के आदेश से हुए सर्वे के आखिरी दिन हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के वुजुखाना के कुएं में शिवलिंग मिला है। जिसके विषय में मुस्लिम पक्ष दावा कर रहा है कि हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग बता रहे हैं, वो एक फव्वारा है और मस्जिदों में इस तरह के फव्वारे मिलने की बात बहुत आम है।

लेकिन हिंदू पक्ष मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अब वाराणसी कोर्ट से मस्जिद परिसर स्थित कुए के सामने वाली दीवार को गिराने की मांग कर रहा है। हालांकि इस मामले में वाराणसी कोर्ट की ओर से अभी तक कोई आदेश नहीं आया है।

वहीं अगर मथुरा कि बात करें तो वहां भी विवादित ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने के लिए मथुरा की कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी याचिका में कोर्ट से अपील की है कि अगर वक्त रहते विवादित ईदगाह मस्जिद परिसर को सील नहीं किया गया तो गर्भगृह और साथ में मंदिर के पुरातात्विक अवशेष को क्षतिग्रस्त किया जा सकता है या फिर उन्हें वहां से हटाया जा सकता है।

वादी महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर मथुरा की सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट सुनवाई करेगा या नहीं, अभी तक कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने याचिका में कहा, "ज्ञानवापी मस्जिद में जिस तरह से हिंदू शिवलिंग अवशेष मिले हैं, उससे स्थिति स्पष्ट हो गई कि वहां मुस्लिम पक्ष शुरू से ही इस कारण ही विरोध कर रहे थे। लगभग वैसी ही स्थिति श्रीकृष्ण जन्म भूमि की है, जहां असली गर्भगृह है। वहां पर सभी हिंदू धार्मिक अवशेष जैसे कमल, शेषनाग, ऊं, स्वास्तिक आदि हिंदू धार्मिक चिन्हों और अवशेषों को मिटा दिया गया है।"

याचिका में आगे कहा गया है, "अगर हिंदू अवशेषों को मिटा दिया तो करेक्टर ऑफ प्रॉपर्टी चेंज हो जाएगा और वादी वहां भी प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए अपना हक जताएंगे। ऐसी स्थिति में मथुरा के ईदगाह मस्जिद में आना-जाना प्रतिबंधित करके परिसर की उचित सुरक्षा की जाए या फिर पूरे परिसर को सील कर दिया जाए।"

इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने मांग की कि मथुरा के शाही ईदगाह (जहां भगवान कृष्ण के मंदिर का मूल गर्भ गृह है) को सील करें और परिसर के लिए सुरक्षाधिकारी नियुक्त करें। इसके साथ ही प्रशासन को आदेश दिया जाए कि ईदगाह मस्जिद में मौजूद प्राचीन हिंदू धार्मिक चिन्हों, स्वास्तिक, कमल, ऊं और अन्य कलाकृतियों को नष्ट होने से बचाएं। 

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