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अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दृढ़-संकल्प के साथ प्रयास करने की आवश्यकता है: नायडू

By भाषा | Updated: January 9, 2021 20:57 IST

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पणजी, नौ जनवरी उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि टीकों ने कोविड-19 से लोगों के बचाव को लेकर उम्मीद पैदा की है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दृढ़-संकल्प के साथ प्रयासों की आवश्यकता है।

नायडू ने गोवा के राज्यपाल बी एस कोश्यारी, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और विधानसभा अध्यक्ष राजेश पाटनेकर की मौजूदगी में यहां पोरवोरिम के निकट ‘गोवा विधि निर्माता दिवस’ के मौके पर कहा, ‘‘टीकों ने बीमारी से लोगों को बचाने के लिए उम्मीद पैदा की है, लेकिन आर्थिक विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ प्रयास करने की आवश्यकता है।’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विकास की गति तेज करने के लिए कई सुधार कर रही है, क्योंकि मजबूत आर्थिक विकास से ही लोगों की आकांक्षाएं पूरी हो सकती हैं।

नायडू ने कहा कि देश में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की स्थिति, जनसांख्यिकीय परिस्थितियों और सामाजिक-आर्थिक असमानता के कारण यह अंदेशा था कि भारत पर इस संक्रमण का बहुत बुरा असर पड़ेगा, लेकिन राष्ट्र के संकल्प के कारण ‘‘हम नुकसान को काबू करने में काफी हद तक सफल रहे और देश के भीतर एवं बाहर, दोनों जगहों पर इस बात को स्वीकार किया जा रहा है।’’

नायडू ने कहा कि तटीय राज्य के विकास में पर्यटन एवं खनन की मुख्य भूमिका है और राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने चाहिए कि इन मोर्चों पर चुनौतियों से निपटा जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘गोवा क्षेत्र के मामले में सबसे छोटा और जनसंख्या के मामले में चौथा सबसे छोटा राज्य है। मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि राज्य सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय और सबसे अच्छे मानव विकास सूचकांक के साथ विकास की दौड़ में सबसे आगे है। गोवा सबसे बड़ा शहरीकृत राज्य है, जिसकी 62 प्रतिशत से अधिक आबादी कस्बों और शहरों में रह रही है।’’

उपराष्ट्रपति ने राज्य में 1963 में पहली बार हुए चुनाव के बाद से राजनीतिक अस्थिरता पर बात की।

उन्होंने कहा कि राज्य में पिछले 57 साल में कम से कम 30 सरकारें बनी हैं और केवल तीन सरकारों ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है और राज्य में पांच बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

नायडू ने कहा कि हालांकि उचित कारणों से कार्यकाल के बीच सरकारें बदलने को लोकतांत्रिक रूप से मंजूरी प्राप्त है, लेकिन बार-बार सरकार बदलने से राजनीतिक अस्थिरता की समस्या पैदा होती है और सरकार की काम करने की क्षमता बाधित होती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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