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प्रश्न करने की प्रज्ञा, सामर्थ्य और छूट ही ‘हिन्दुत्व’ है, जहां छूट नहीं, वह ‘अहिन्दुत्व’ हैः कृष्ण गोपाल

By भाषा | Updated: January 2, 2020 19:58 IST

आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक जे नंदकुमार द्वारा लिखी पुस्तक 'हिंदुत्व फॉर द चेंजिंग टाइम्स' के विमोचन समारोह में कृष्ण गोपाल ने कहा, ‘‘ हिन्दुत्व को समझाना काफी कठिन है क्योंकि जैसे ही कोई इसे समझायेगा, वैसे ही प्रश्न होगा। हिन्दुत्व का मौलिक चरित्र ही है कि मैं सहमत नहीं।’’

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ठळक मुद्देउन्होंने इस संबंध में शिव..पार्वती संवाद तथा कठोपनिषद के यम..नचिकेता संवाद का उल्लेख किया।कृष्ण गोपाल ने कहा कि एक ईश्वर को प्राप्त करने के लिये भिन्न भिन्न मार्गों को देश के समाज ने मान्यता दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रश्न करने की सामर्थ्य और छूट ही ‘हिन्दुत्व’ है और जहां प्रश्न करने की छूट नहीं, वह ‘अहिन्दुत्व’ है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई कहता है कि भारत में एक ही भाषा, एक बोली या एक पूजा पद्धति है, तो वह ठीक नहीं है। भारत का अध्यात्म कहता है कि यहां हजारों प्रकार की भाषा, बोलियां, हजारों प्रकार की पूजा पद्धति हैं। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक जे नंदकुमार द्वारा लिखी पुस्तक 'हिंदुत्व फॉर द चेंजिंग टाइम्स' के विमोचन समारोह में कृष्ण गोपाल ने कहा, ‘‘ हिन्दुत्व को समझाना काफी कठिन है क्योंकि जैसे ही कोई इसे समझायेगा, वैसे ही प्रश्न होगा। हिन्दुत्व का मौलिक चरित्र ही है कि मैं सहमत नहीं।’’

उन्होंने इस संबंध में शिव..पार्वती संवाद तथा कठोपनिषद के यम..नचिकेता संवाद का उल्लेख किया और कहा कि इसमें यह बात सामने आई कि इनके बीच भी सहमति नहीं बनी। आरएसएस के सह सरकार्यवाह ने कहा, ‘‘ प्रश्न करने की प्रज्ञा, सामर्थ्य और छूट... वही हिन्दुत्व है। जहां प्रश्न करने की छूट नहीं, वह अहिन्दुत्व है।’’

उन्होंने कहा कि जहां सवाल करने की छूट हो, अनेक प्रकार के विचारों को मानने की छूट हो, वह फले..फूले... वह अध्यात्म है। उन्होंने जोर दिया कि हिन्दुत्व शब्द, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उत्पत्ति नहीं है। आठवीं शताब्दी में देश पर हुए आक्रमण के बाद एक मंच पर आए आध्यत्मिक दर्शन के तहत हिन्दुत्व की उत्पत्ति हुई और यह आध्यात्मिक दर्शन पूरे देश में फैल गया।

कृष्ण गोपाल ने कहा कि एक ईश्वर को प्राप्त करने के लिये भिन्न भिन्न मार्गों को देश के समाज ने मान्यता दी। देश में भाषा, वस्त्र, पद्धतियां, वातावरण के भिन्न होने के बावजूद ‘एकत्व’का भाव पूरे देश, समाज को जोड़ता है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी कोने में कोई भी व्यक्ति चाहे कोई पूजा पद्धति को अपनाता हो या कोई भी ग्रंथ पढ़ता हो लेकिन अगर वह सभी के सुखी होने की कामना करता है तो ‘‘ यह मान लें कि वह हिन्दू है।’’ उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक प्रकाश में कोई भी अपने जीवन का निर्वाह करता है तो वह हिन्दू है।

कृष्ण गोपाल ने कहा कि हिंदुत्व ही भारत को एक रखता है। उन्होंने कहा कि एकत्व के अभाव में सोवियत संघ, यूगोस्लाविया बिखर गये और पाकिस्तान के भी टुकड़े हो गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी और टूटेगा तथा तीन और देश बनेंगे।

इस अवसर पर आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक जे नंद कुमार ने कहा कि कुछ लोग अंग्रेजी का 'इज्म' जोड़कर हिंदुत्व को हिंदुइज्म के रूप में पेश कर रहे हैं जबकि हिंदुत्व कोई सीमित दायरे में बंधा हुआ विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक सतत प्रवाह है, जो बदलते समय के साथ खुद को बदलता भी है और सबको समाहित भी करता है। 

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