पटना: बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पांचवे और अंतिम दिन शुक्रवार को औपचारिक रूप से स्थगित हो गया। सदन के अंतिम दिन कार्यवाही के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच हल्की नोकझोंक देखने को मिली, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डा. प्रेम कुमार ने सदन के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। उससे पहले बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक के बीच बिहार विनियोग (संख्या-4) विधेयक 2025 पेश किया गया।
वहीं, विधान परिषद में पक्ष-विपक्ष में तीखी बहस देखने को मिली, जिसके बाद सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित करने की घोषणा की। विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार को शुरू होते ही जल संसाधन विभाग के मंत्री विजय चौधरी ने बांधों की सुरक्षा स्थिति का वित्तीय वर्ष 2024-25 का वार्षिक प्रतिवेदन सदन पटल पर रखा। इस दौरान विधानसभा में द्वितीय अनुपूरक बजट के तहत ग्रामीण विकास विभाग पर चर्चा हुई।
चर्चा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को लेकर विधानसभा में भाकपा-माले विधायक संदीप सौरव ने विजय चौधरी के बयान पर आपत्ति जताई। चर्चा के दौरान प्रभारी मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि मौजूदा सरकार बिहार की महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है। अनुपूरक बजट पर विपक्ष की तरफ से आलोक मेहता ओर से आपत्ति जताए जाने पर श्रवण कुमार ने कहा कि ये लोग राज्य की महिलाओं को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि 40 हजार से ज्यादा जीविका दीदियों को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। तालाबों की देखभाल की जीविका दीदियों को जिम्मेदारी दी गई है। बिहार में 31 लाख 71 हजार जीविका दीदी लखपति दीदी बन चुकी हैं। महिला रोजगार की चिंता विपक्ष नहीं करे। मुख्यमंत्री ने जो वादा किया है उसे पूरा करेंगे। एक करोड़ 56 लाख दीदियों के खाते में 10 हजार दिए गए हैं।
नेता प्रतिपक्ष माई बहिन मान योजना चलाने की बात कर रहे थे, अब यही लोग मां बहन का अपमान भी कर रहे हैं। जनता ने इन्हें नाकार दिया है। वहीं, वित्त एवं वाणिज्यकर मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के ज्ञान, विज्ञान और ईमान ने बिहार का बजट 3 लाख करोड़ से अधिक बढ़ाया है। आज चारा घोटाला और बालू घोटाला नहीं होता है। नीतीश कुमार में ईमान का संकट नहीं है। इसलिए पैसे का प्रबंध भी होगा। पहले सिर्फ आलू, लालू और बालू की बात होती थी।
इसके साथ ही बिहार विधान सभा से बिहार विनियोग (संख्या-4) विधेयक, 2025 आज दिनांक 05 दिसम्बर 2025 को स्वीकृति दी गई। बिहार विनियोग (संख्या-4) विधेयक, 2025 से कुल 91,717.1135 करोड़ रुपये की राशि समेकित निधि से विनियोजन किया जाना है। विनियोजित राशि में 90,464.4635 करोड़ रुपये मतदेय एवं 1,252.65 करोड़ रुपये भारित है।
कुल व्यय में राजस्व मद में 59,064.4284 करोड़ रुपये एवं पूंजीगत मद में 32,652.6851 करोड़ रुपये है। प्रस्तावित राशि में स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय मद में (प्रभृत्त सहित) 40,462.9951 करोड़ रुपये है। प्रस्तावित राशि में वार्षिक स्कीम मद में 51,253.7784 करोड़ रुपये है। जबकि प्रस्तावित राशि में केन्द्रीय क्षेत्र स्कीम मद में 34 लाख रुपये है।
वहीं, पांच दिवसीय बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र के अवसान की घोषणा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने सभी सदस्यों को आगामी नए वर्ष 2026 की अग्रिम शुभकामनाएं दीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि नया साल बिहार की प्रगति, जनकल्याण और सकारात्मक राजनीतिक संवाद को नई दिशा देगा। अब बिहार विधानसभा का अगला सत्र वर्ष 2026 में आयोजित किया जाएगा, जिसमें नए एजेंडा, विधेयक और बजट सत्र से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा होने की संभावना है।
वैसे तो पूरे सत्र में राजनीतिक बहस और मुद्दों की गर्माहट बनी रही, लेकिन आज का दिन सदन में विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। दिन की शुरुआत होते ही सदन में हल्की चहल-पहल और उत्सुकता का माहौल था, क्योंकि सभी सदस्य अंतिम दिन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए तैयार थे। लेकिन जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सदन का माहौल अचानक थोड़ा गरम हो गया, जब जदयू के सबसे उम्रदराज विधायक विजेंद्र यादव ने अपनी बात रखनी शुरू की। वित्त मंत्री बिजेंद्र यादव ने जैसे ही विपक्ष पर निशाना साधना शुरू किया, पूरा सदन राजनीतिक गर्मी से सराबोर हो उठा। सदन में मंत्री द्वारा किए गए एक बयान ने मानो आग में घी का काम किया।
दरअसल, विजेंद्र यादव ने जोर देकर कहा कि नीतीश कुमार के राज में कोई चारा घोटाला नहीं हुआ और सरकार जनहित के कार्यों के लिए हर आवश्यक संसाधन जुटाने में सक्षम है। जैसे ही ‘चारा घोटाले’ का जिक्र आया, राजद के विधायकों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के नारों और शोर के बीच राजनीतिक तेवर और तेज हुए।
इसी दौरान जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी शुरू की, तो राजद के सदस्य एक सुर में विरोध में खड़े हो गए। माहौल इतना गर्मा गया कि विजेंद्र यादव ने भी पूरी राजनीतिक भाषा और तेवर में चुनौती भरे अंदाज में कहा कि “ज़्यादा बोलिएगा तो और पोल खोलूंगा।” यह बयान मानो सदन में सियासी चिंगारी बन गया, जिससे विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने आ गए।