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आपरेशन महादेव की कामयाबी और चीनी तकनीक की धोखेबाजी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 29, 2025 11:36 IST

Operation Mahadev:एनआईए की जांच से पता चला है कि परवेज और बशीर ने हमले से पहले हिल पार्क स्थित एक मौसमी ढोक (झोपड़ी) में तीन सशस्त्र आतंकवादियों को जानबूझकर पनाह दी थी।

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Operation Mahadev:  कश्‍मीर में सुरक्षाबलों को श्रीनगर के हरवान में जिन तीन पाकिस्‍तानी आतंकियों को मार गिराने में कामयाबी मिली है उसके पीछे उस चीनी तकनीक की धोखेबाजी है जिस पर आतंकी और उनके आका आंख मूंद कर विश्‍वास कर रहे थे। कल भारतीय सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता मिली। उन्होंने श्रीनगर के बाहरी इलाके में हरवान के पास लिडवास के जंगली इलाके में एक मुठभेड़ के दौरान पहलगाम हमले के कथित हमलावर सुलेमानी समेत तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया। इस एनकाउंटर को ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया, जोकि आतंकवादी गतिविधियों की खुफिया और तकनीकी निगरानी के बाद शुरू किया गया।

दरअसल 18 जुलाई को खुफिया एजेंसियों ने डाचीगाम नेशनल पार्क के पास एक इलाके में एक संदिग्ध कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट किया और ऑपरेशन महादेव शुरू कर दिया।

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही जवानों ने इलाके की तलाशी शुरू कर दी क्योंकि इंटरसेप्ट से पता चला कि जिस संचार उपकरण से सिग्नल आया था, उसके यूजर का 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले से कुछ संबंध था।

सूत्रों को मुताबिक, रविवार-सोमवार की रात 2 बजे टी82 अल्ट्रासेट एक्टिवेशन हुआ था।  टी82 एक दुर्लभ एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेटिंग उपकरण है। इस उपकरण से सिग्नल मिलते ही आतंकियों के जहन्नुम जाने का रास्ता तय हो गया था। टी82 से मिले सिग्नलों से ही सुरक्षाबलों को सटीक स्थान का पता लग गया।

यह सच है कि एक चाइनीज अल्ट्रा रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम की वजह से आतंकी 96 दिनों से हाथ नहीं आए थे। पर आतंकियों की इसी एक तकनीकी चूक ने 'ऑपरेशन महादेव' को मुमकिन बना दिया। यह सच है कि चाइनीज तकनीक ही आतंकियों की कमजोरी बन गई और आखिर 96 दिन बाद उनकी कमर तोड़ने में भी इसी तकनीक की धोखेबाजी ने भारतीय सुरक्षाबलें की मदद की थी।

18 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था। हर चेकपॉइंट पर सख्त निगरानी, गश्त तेज और सैकड़ों किलोमीटर में फैले जंगलों की गहन तलाश लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लग रहा था। सुरक्षा एजेंसियों को भी लगने लगा था कि आतंकी किसी स्थानीय मदद से बेहद सुनियोजित तरीके से छिपे हुए हैं।

सुरक्षा एजेंसियों ने तलाश को व्यापक और तकनीकी रूप देना शुरू किया. थर्मल इमेजिंग ड्रोन्स, ह्यूमन इंटेलिजेंस, सैटेलाइट ट्रैकिंग और सिग्नल इंटरसेप्शन तकनीक के जरिए पूरे दक्षिणी कश्मीर को खंगाला गया। इसी दौरान एक ऐसा संकेत मिला, जिसने पूरा खेल बदल दिया।

जंगल के एक घने इलाके में एक चाइनीज अल्ट्रा रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम का एक्टिव होना नोट किया गया। यह सिस्टम बहुत कम इस्तेमाल होता है, और इसकी पहचान तभी होती है जब कोई लगातार सुरक्षित फ्रीक्वेंसी पर डेटा ट्रांसमिट करता है।

यहीं से सुरक्षाबलों को पहली पुख्ता जानकारी मिली कि आतंकी अब भी आसपास ही कहीं छिपे हैं। यह सिस्टम चीन की एक सैन्य-उपयोगी तकनीक है, जिसे हाई फ्रिक्वेंसी और अल्ट्रा हाई फ्रिक्वेंसी बैंड्स पर काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें मजबूत एनक्रिप्शन होता है और यह दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी संचार की सुविधा देता है।

साल 2016 में इसे आतंकियों द्वारा डब्‍ल्‍यू वाय एसएमएस के नाम से इस्तेमाल किया गया था और यह लश्कर, जैश जैसे संगठनों के लिए एक सुरक्षित माध्यम बन गया था। इसका सबसे खतरनाक पहलू ये है कि इसके सिग्नल्स को इंटरसेप्ट करना या ब्लॉक करना बेहद मुश्किल होता है। यही वजह थी कि यह तकनीक लंबे समय तक सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से दूर रही।

और फिर लगभग 11 दिनों के सर्च ऑपरेशन के बाद सोमवार सुबह लगभग साढ़े 11 बजे, 24 राष्ट्रीय राइफल्स और 4 पैरा कमांडो की एक टीम ने तीन “हाई वैल्यू पाकिस्तानी आतंकवादियों” को घेर लिया और मार गिराया गया। दावा किया जा रहा है कि इनमें से एक सुलेमानी शाह था, जो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक सदस्य था और जिस पर पहलगाम हमले का मुख्य शूटर और मास्टरमाइंड होने का संदेह था।

एक अधिकारी का कहना है कि आतंकियों की पहचान की पुष्टि दो लोगों परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर से होने की संभावना है, जिन्हें एनआईए ने पिछले महीने पहलगाम हमलावरों को कथित तौर पर पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनआईए की जांच से पता चला है कि परवेज और बशीर ने हमले से पहले हिल पार्क स्थित एक मौसमी ढोक (झोपड़ी) में तीन सशस्त्र आतंकवादियों को जानबूझकर पनाह दी थी। ये बात एजेंसी ने पिछले महीने जारी एक बयान में कही थी।

पहलगाम के एक खूबसूरत पार्क में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय टट्टू संचालक की गोली मारकर हत्या के बाद सुलेमानी शाह का नाम मुख्य संदिग्ध के रूप में सामने आया था। मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी उसकी तलाश में थी। एक अधिकारी का कहना है कि ऐसा संदेह है कि वह पाकिस्तानी सेना का एक पूर्व कमांडो था।

सुरक्षाबलों ने दाचीगाम के हरवान इलाके में स्थित एक ठिकाने से एक एम4 कार्बाइन और दो एके47 राइफलें, ग्रेनेड और गोला-बारूद के अलावा खाने-पीने का सामान भी बरामद किया है। मारे गए अन्य दो लोगों की पहचान आधिकारिक तौर पर उजागर नहीं की गई है।

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