पुलिसकर्मियों के वेतन-भत्तों की तुलना होमगार्ड की पगार के साथ नहीं की जा सकती, दोनों की सेवा शर्तों में कोई समानता नहींः कोर्ट

By भाषा | Published: September 24, 2019 08:41 PM2019-09-24T20:41:23+5:302019-09-24T20:41:23+5:30

अदालत ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘पुलिसकर्मियों को दिये जाने वाले वेतन एवं भत्ते दिल्ली में कार्यरत होम गार्डों को नहीं दिये जा सकते। इसके अलावा...ऐसा प्रतीत होता है कि होम गार्डों के लिए प्रतिवादियों ने पर्याप्त ध्यान रखा है, जैसे कि दिल्ली होम गार्ड नियमावली का नियम 18 यह प्रावधान करता है कि होम गार्डों को मुआवजा अदा किया जाए।’’

The salary and allowances of the policemen cannot be compared with the salary of the home guards, there is no similarity in the conditions of service of both: the court | पुलिसकर्मियों के वेतन-भत्तों की तुलना होमगार्ड की पगार के साथ नहीं की जा सकती, दोनों की सेवा शर्तों में कोई समानता नहींः कोर्ट

होम गार्डों को दिया जाने वाला पारिश्रमिक 2016 में प्रति महीना 15,840 रुपये था और 2018 से इसे बढ़ाकर 20,820 रुपये कर दिया गया

Highlightsएक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए कहा कि होम गार्ड अस्थायी आधार पर रखे जाते हैं।पुलिसकर्मी की नौकरी स्थायी होती है। पीठ ने कहा कि दोनों कैडर पूरी तरह से अलग हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिसकर्मियों के वेतन एवं भत्तों की तुलना होम गार्ड की पगार के साथ नहीं की जा सकती क्योंकि इन दोनों की सेवा शर्तों में कोई समानता नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए कहा कि होम गार्ड अस्थायी आधार पर रखे जाते हैं, जबकि पुलिसकर्मी की नौकरी स्थायी होती है। पीठ ने कहा कि दोनों कैडर पूरी तरह से अलग हैं।

अदालत ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘पुलिसकर्मियों को दिये जाने वाले वेतन एवं भत्ते दिल्ली में कार्यरत होम गार्डों को नहीं दिये जा सकते। इसके अलावा...ऐसा प्रतीत होता है कि होम गार्डों के लिए प्रतिवादियों ने पर्याप्त ध्यान रखा है, जैसे कि दिल्ली होम गार्ड नियमावली का नियम 18 यह प्रावधान करता है कि होम गार्डों को मुआवजा अदा किया जाए।’’

उच्च न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि होम गार्डों को दिया जाने वाला पारिश्रमिक 2016 में प्रति महीना 15,840 रुपये था और 2018 से इसे बढ़ाकर 20,820 रुपये कर दिया गया। पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह, दो साल की अवधि में पारिश्रमिक (होमगार्डों की) में करीब 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

पारिश्रमिक में यह वृद्धि बहुत अधिक है। होम गार्ड पारिश्रमिक में इस अत्यधिक वृद्धि से ज्यादा की उम्मीद नहीं कर सकते।’’ उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा होम गार्डों की ड्यूटी और जिम्मेदारियां पुलिसकर्मियों से पूरी तरह से अलग है।

पीठ ने कहा, ‘‘ये दोनों पूरी तरह से अलग कैडर हैं-एक (होम गार्ड) अस्थायी प्रकृति का है जबकि दूसरे (पुलिसकर्मी) स्थायी प्रकृति के हैं। एक स्वयंसेवी इकाई है जबकि दूसरे में भर्ती दिल्ली पुलिस एक्ट,1978 के तहत होती है।’’

अदालत ने गैर सरकारी संगठन लीगल फोरम फॉर वूमन इम्पावरमेंट द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा। याचिका के जरिये होम गार्डों के कल्याण के लिये योजना एवं नीतियां बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

एनजीओ ने याचिका में दलील दी, ‘‘होम गार्ड चौबीसों घंटे (24x7) काम करते हैं। कभी उन्हें वीआईपी बंदोबस्त में लगाया जाता है, तो कभी कानून व्यवस्था कायम रखने की ड्यूटी पर लगाया जाता है।’’ याचिका में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों/कर्मियों की तर्ज पर होमगार्ड को भी भविष्य निधि, पेंशन, स्वास्थ्य योजनाएं, मेडिकल सुविधाएं, मासिक आधार पर मेडिकल जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। 

Web Title: The salary and allowances of the policemen cannot be compared with the salary of the home guards, there is no similarity in the conditions of service of both: the court

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