राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में चाणक्य, आंबेडकर के कथनों और असमिया, मलयालम कविता का उल्लेख किया

By भाषा | Updated: January 29, 2021 14:55 IST2021-01-29T14:55:27+5:302021-01-29T14:55:27+5:30

The President mentioned Chanakya, Ambedkar's statements and Assamese, Malayalam poetry in his address. | राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में चाणक्य, आंबेडकर के कथनों और असमिया, मलयालम कविता का उल्लेख किया

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में चाणक्य, आंबेडकर के कथनों और असमिया, मलयालम कविता का उल्लेख किया

नयी दिल्ली, 29 जनवरी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में चाणक्य और बाबासाहेब बी आर आंबेडकर के कथनों के साथ ही असम के कवि अंबिकागिरी रायचौधरी और मलयालम कवि वल्लथोल की उक्तियों का भी उल्लेख किया।

राष्ट्रपति ने अभिभाषण के प्रारंभ में कहा कि भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है। ऐसी ही एकजुटता और महात्मा गांधी की प्रेरणा ने, सैकड़ों वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाई थी। इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए, राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कवि, असम केसरी, अंबिकागिरि रायचौधरी ने कहा था: ‘‘ओम तत्सत् भारत महत, एक चेतोनात, एक ध्यानोत; एक साधोनात, एक आवेगोत, एक होइ ज़ा, एक होइ ज़ा।’’

इसका अर्थ है कि भारत की महानता परम सत्य है। एक ही चेतना में, एक ही ध्यान में, एक ही साधना में, एक ही आवेग में, एक हो जाओ, एक हो जाओ।

कोविंद ने कहा कि आज हम भारतीयों की यही एकजुटता, यही साधना, देश को अनेक आपदाओं से बाहर निकालकर लाई है।

कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है- “कृतम् मे दक्षिणे हस्ते, जयो मे सव्य आहितः” अर्थात, हमारे एक हाथ में कर्तव्य होता है तो दूसरे हाथ में सफलता होती है।

उन्होंने कहा कि महामारी के इस समय में, जब दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति, हर देश इससे प्रभावित हुआ, आज भारत एक नए सामर्थ्य के साथ दुनिया के सामने उभर कर आया है।

राष्ट्रपति ने अभिभाषण में जब आत्मनिर्भर भारत की बात की तो चाणक्य की निम्नलिखित संस्कृत उक्ति को पढ़ा।

‘‘तृणम् लघु, तृणात् तूलम्, तूलादपि च याचकः ।

वायुना किम् न नीतोऽसौ, मामयम् याचयिष्यति ॥’’

उन्होंने इसका आशय बताते हुए कहा कि याचना करने वाले को घास के तिनके और रुई से भी हल्का माना गया है। रुई और तिनके को उड़ा ले जाने वाली हवा भी याचक को इसलिए अपने साथ उड़ाकर नहीं ले जाती कि कहीं वह हवा से भी कुछ मांग ना ले। इस प्रकार, हर कोई याचक से बचता है। इसका अभिप्राय यह है कि यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा।

कोविंद ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी होने के साथ-साथ देश में जल नीति को दिशा दिखाने वाले भी थे।

उन्होंने आंबेडकर के 8 नवंबर, 1945 को कटक में एक कॉन्फ्रेंस में बोले गये अंग्रेजी के एक कथन का जिक्र करते हुए कहा कि बाबासाहेब की प्रेरणा को साथ लेकर, मेरी सरकार ‘जल जीवन मिशन’ की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। इसके तहत ‘हर घर जल’ पहुंचाने के साथ ही जल संरक्षण पर भी तेज गति से काम किया जा रहा है।

कोविंद ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति के अमर गीतों की रचना करने वाले मलयालम के श्रेष्ठ कवि वल्लथोल ने कहा है: ‘‘भारतम् ऐन्ना पेरू केट्टाल अभिमाना पूरिदम् आगनम् अंतरंगम्।’’ जिसका अर्थ है कि जब भी आप भारत का नाम सुनें, आपका हृदय गर्व से भर जाना चाहिए।

उन्होंने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरीन्द्रनाथ टैगोर के एक ओजस्वी गीत की भी कुछ पंक्तियां पढ़ीं। जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘‘चॉल रे चॉल शॉबे, भारोत शन्तान, मातृभूमी कॉरे आह्वान, बीर-ओ दॉरपे, पौरुष गॉरबे, शाध रे शाध शॉबे, देशेर कल्यान।’’

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें पश्चिम बंगाल और केरल भी शामिल हैं।

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Web Title: The President mentioned Chanakya, Ambedkar's statements and Assamese, Malayalam poetry in his address.

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