पटना: पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के जूनियर डॉक्टरों के द्वारा स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा संकट मंडराने लगा है। हड़ताल का आज दूसरा दिन है और डॉक्टर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि वर्तमान में उन्हें मात्र 18 से 20 हजार रुपये मासिक स्टाइपेंड मिलता है, जबकि उनकी मांग है कि इसे बढ़ाकर 40 हजार रुपये किया जाए। उनका आरोप है कि नियमों के मुताबिक हर तीन साल में इंटर्नशिप स्टायपेंड का पुनरीक्षण होना चाहिए, लेकिन सरकार ने इस पर लंबे समय से कोई कार्रवाई नहीं की है।
हड़ताल का असर सीधे मरीजों पर पड़ा है। मंगलवार को पहले दिन से ही ओपीडी सेवाएं बाधित हैं और बुधवार को भी हालात जस के तस रहे। हालांकि इमरजेंसी सेवा को बंद नहीं किया गया है। ओपीडी ठप होने से अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज बिना इलाज के लौट गए। कई मरीज जमीन पर लेटे इलाज का इंतजार करते दिखे। घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण अधिकतर मरीजों को मायूस होकर लौटना पड़ा। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और सरकार पर नाराजगी जताई।
इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि वे बार-बार सरकार से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने साफ कहा है कि यदि सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया तो वे आंदोलन और तेज करेंगे। साथ ही चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में अस्पताल की सभी ओपीडी सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी।
डॉक्टरों का कहना है कि वे 12 से 18 घंटे काम करते हैं, लेकिन बदले में उन्हें मात्र 20 हजार रुपये मासिक स्टाइपेंड दिया जाता है। उनका कहना है कि दूसरे राज्यों में स्टाइपेंड कहीं ज्यादा मिलता है। यहां तक कि एम्स पटना में भी इंटरन डॉक्टरों को अधिक राशि दी जाती है। डॉक्टरों का तर्क है कि बिहार में मेडिकल इंटर्न्स के साथ नाइंसाफी हो रही है।