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आप सरकार ने अदालत को पांच सितारा होटल में कोविड-19 केंद्र बनाने का आदेश वापस लेने की सूचना दी

By भाषा | Updated: April 29, 2021 15:14 IST

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नयी दिल्ली, 29 अप्रैल दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय को बताया कि उसने न्यायाधीशों, उनके स्टाफ और परिवारों के लिए यहां एक पांच सितारा होटल में कोविड-19 केंद्र बनाने का आदेश वापस ले लिया है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने इस संबंध में सरकार के नये आदेश पर गौर किया और 27 अप्रैल को स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत द्वारा दायर याचिका का निस्तारण कर दिया।

अदालत ने उन खबरों पर संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में अशोका होटल के 100 कमरों को दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुरोध पर उसके न्यायाधीशों के लिए कोविड स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील कर दिया गया है।

अदालत ने कहा था कि उसने इस प्रकार का केंद्र बनाए जाने का कोई अनुरोध नहीं किया है।

सुनवाई शुरू होने पर दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष के त्रिपाठी ने पीठ को सूचित किया कि होटल के 100 कमरों को न्यायाधीशों और उनके परिवारों के लिए कोविड-19 केंद्र बनाने का अनुरोध करने वाले 25 अप्रैल के आदेश को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया गया है।

अदालत ने 27 अप्रैल को कहा था कि वह ऐसा केंद्र बनाने के लिए नहीं कह सकता जो कि भेदभावपूर्ण है और इस संबंध में एसडीएम का आदेश बहुत ही गुमराह करने वाला है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह बहुत ज्यादा गुमराह करने वाला है। उच्च न्यायालय ने किसी भी ऐसे पांच सितारा होटल में बिस्तर लगाने का ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है।’’

उसने कहा था कि ऐसे वक्त में जब दिल्ली सरकार हर किसी को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है तो वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 100 बिस्तरों वाला केंद्र बनाने के बारे में बात कर रही है।

उसने कहा था कि सरकार किसी खास वर्ग के लिए ऐसा केंद्र नहीं बना सकती इसलिए एसडीएम का आदेश गलत है।

चाणक्यपुरी के उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा 25 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया था कि अशोका होटल में कोविड-19 केंद्र को प्राइमस अस्पताल से संबद्ध किया जाएगा। इसमें कहा गया था कि यह केंद्र दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुरोध पर बनाया जा रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने कोविड-19 के कारण दो न्यायिक अधिकारियों को खो दिया।’’ उसने कहा कि ऐसी स्थिति में हम बस यह चाहते हैं कि अगर ये न्यायिक अधिकारी अस्पताल में भर्ती होना चाहते हैं तो कुछ अस्पतालों को उन्हें यह सुविधा मुहैया करानी चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘‘इस आदेश का गलत तरीके से अनुवाद किया गया। अगर हम अपने लिए कोई सुविधा चाहते भी थे तब भी 100 बिस्तरों वाला केंद्र बनाने का सवाल कहां से आया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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