चेन्नई: तमिलनाडु में मंदिर के बाहर का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ छोड़े-छोटे बच्चों को खाना खाते हुए दिखाया गया है। 'द दलित वॉयस' नाम के ट्विटर हैंडल से साझा किये गये इस वीडियो में दावा किया गया कि त्रिची के उथमार मंदिर में कुछ दलित बच्चों को कथित तौर पर खाना काने के लिए मंदिर के बाहर फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया गया।
आरोप इस बात का भी लग रहा है कि मंदिर के मंडपम में अन्य लोगों को जहां खाना परोसा जा रहा था, उनसे उन बच्चों को सिर्फ इसलिए दूर रखा गया क्योंकि ये बच्चे कथिततौर पर दलित जाति से ताल्लुक रखते हैं।
वहीं मामले में प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के मंत्री पीके शेखर बाबू ने मंदिर में हुई इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है और कहा है कि सोशल मीडिया पर मंदिर के अंदर बैठे लोगों से अलग खाना खाने वाले इन बच्चों के वीडियो में कोई सत्यता नहीं है। मामले में जांच हुई है और इस तरह की कोई बात नहीं निकली है।
न्यूज वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक कथित वायरल वीडियो त्रिची के उथमार मंदिर का है। जिसमें दलित बच्चों को खाना खाने के लिए जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें अन्नदानम नहीं परोसा गया।
मालूम हो कि तमिलनाडु सरकार ने गरीबों के भोजन के लिए अन्नदानम योजना शुरू की है, जिसमें उन्हें मंदिर की ओर से मुफ्त भोजन दिया जाता है। एमके स्टालिन सरकार की ओर से पूरे तमिलनाडु में करीब 754 जगहों पर अन्नदानम योजना चल रही है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस वीडियो में मंदिर के बाहर खाना खाते एक बच्चे कहा कि उन्हें मंदिर के मंडपम से खदेड़ दिया गया। इसके अलावा मंदिर की ओर से उन्हें उन्हें छोटे पत्तों में भोजन दिया जाता है। इसके साथ ही बच्चा कहता है कि खाना देने वाले ने उन्हें जमीन पर बैठने के लिए कहा।
वीडियो में गरीब बच्चे बिना सादा दही-चावल खाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि अन्य प्रकार के व्यंजन खाने में बने थे। बच्चे ने कहा कि हम भिखारियों की तरह लग रहे थे, इसलिए हमें खदेड़ दिया गया। वो कहते हैं कि तुम लोगों को अंदर नहीं आना चाहिए।
राज्य के डीएमके सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ मंत्री पीके शेखर बाबू ने इस मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा मंदिर में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी।
शेखर बाबू ने कहा कि 23-04-2022 को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में इस बात का दावा किया जा रहा था कि त्रिची के अरुल्मिगु उथामार मंदिर में एक वर्ग विशेष को भोजना का सही से वितरण नहीं किया गया था।
मामले की जानकारी मिलते ही सरकार ने ज्वाइंट कमिश्नर को घटना की जांच का आदेश दिया। जिसके बाद मामले में जांच हुई और जब भोजन वितरण करने वालों से इस बाबत जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ कुछ भी अपमानजनक नहीं हुआ था। इससे साबित होता है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो असत्य है।