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बिहार: कोरोना को मात देने के नाम पर भारी पड़ रही है आस्था, कहीं तांत्रिक पूजा तो कहीं चल रहा है झाड़-फूंक का खेल

By एस पी सिन्हा | Updated: May 15, 2021 18:04 IST

बिहार के गया शहर के कालीबाड़ी मंदिर में कोरोना से मुक्ति के लिए विशेष तांत्रिक पूजा का आयोजन हुआ। इस दौरान एक बकरे की भी बलि दी गई।

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ठळक मुद्देऐसा कर लोगों ने भगवान से कोरोना से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना की। इस खास पूजा में इलाके के कई लोग शामिल हुए। पूजा में कई भक्त शामिल हुए और भंडारे का भी आयोजन किया गया।

कोरोना को भगाने के लिए लोग तरह-तरह के हथकंडे अपनाने लगे हैं। पूजा-पाठ से लेकर अंधविश्वास तक का खेल जारी है। कोई गोबर से नहा रहा है तो कोई हवन का आयोजन कर रहा है। वही कुछ लोग अस्पताल में मरीज के सामने मंत्र और चालीसा पढ़ कोरोना को भगाने की बात कर रहे हैं। गांवों में तो कई तरह के पूजा किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में 

प्राप्त जानकारी के अनुसार गया शहर में स्थित कालीबाड़ी मंदिर में पूरे मंत्रोच्चारण के बीच एक बकरे की बलि भी दी गई। ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा पाठ करने से किसी भी तरह की महामारी से छुटकारा मिलता है। यही कारण है कि काली मंदिर में तांत्रिक पूजा का आयोजन किया गया। इस दौरान हवन भी किया गया। जिसमें बडी तादाद में लोग शामिल हुए। 

इस दौरान भंडारे की भी व्यवस्था की गई थी। तांत्रिक पूजा के दौरान मंत्रोच्चारण के साथ बकरे के सिर पर कपूर रखकर घंटों पूजा और आरती की गई। ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में भी महामारी के दौरान पूजा अर्चना की जाती रही है। कालीबाडी मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि 1951 में इस मंदिर की स्थापना की गई थी, जिसके बाद हर साल विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। 

कोरोना महामारी से बिगड़ते हालात से छुटकारा देने के लिए माता की विशेष पूजा अर्चना की गई। यह प्रार्थना की गई कि सभी को मन की शांति मिले और इस वैश्विक महामारी से छुटकारा मिले। देश से कोरोना वायरस खत्म हो और लोगों का कष्ट दुर हो यही प्रार्थना की गई। यहां उल्लेखनीय है कि गया ही नहीं बिहार के विभिन्न हिस्सों में लोग आस्था पर ज्यादा विश्वास जता रहे हैं। 

हर इलाके में अलग-अलग तरीकों से महिलायें और पुरूष कोरोना से बचने के लिए पूजा-पाठ में लगे दिख जा रहे हैं। कहीं-कहीं गुप्त रूपेण भी तांत्रिक पूजा किया जा रही है और बाबा लोग इसमें लगे हुए बताये जा रहे हैं। कई गांवों में तो बीमार लोगों को झाड-फूंक से भी ठीक कर दिये जाने के दावे के साथ ओझा-गुनी का भी खेल अपने चरम पर है।

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