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मत जाओ सर! टीचर के ट्रांसफर पर फूट-फूट के रोए छात्र और परिजन

By धीरज पाल | Updated: June 22, 2018 15:53 IST

गुरु के प्रति अथाह प्रेम का प्रदर्शन तमिलनाडू के तिरुवल्लपुर जिले के वेल्लियाग्राम में तब दिखा जब वहां के एक शिक्षक का ट्रांसफर हो रहा था। जी भगवान के प्रभाव में इतनी शक्ति थी कि ट्रांसफर की खबर सुनने के बाद पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया।

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नई दिल्ली, 22 जून: प्राचीन काल से ही गुरु और शिष्य का रिश्ता बेहद ही प्रगाण रहा है। किसी भी छात्र के जीवन में एक शिक्षक भगवान के समान होता है। इसका सबूत धार्मिक ग्रंथ के एक पंक्ति में भी किया गया है। कहा जाता है कि गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।। इसका मतलब है कि गुरु ही ब्रह्मा है और गुरु ही विष्णू है और गुरु ही महेश्वर है।  इसका जीता जागता उदाहरण तमिलनाडु के एक गांव में देखने को मिला। गुरु के प्रति अथाह प्रेम का प्रदर्शन तमिलनाडू के तिरुवल्लपुर जिले के वेल्लियाग्राम में तब दिखा जब वहां के एक शिक्षक का ट्रांसफर हो रहा था। जी भगवान के प्रभाव में इतनी शक्ति थी कि ट्रांसफर की खबर सुनने के बाद पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। गांव में ट्रांसफर की खबर सुनने के बाद माहौल गमगीन हो गया था, सोचिए विदाई के वक्त क्या हाल हुआ होगा।

विदाई के वक्त रो पड़ा वेल्लियाग्राम ! 

28 वर्षीय शिक्षक के विदाई के वक्त वेल्लियाग्राम के सारे छात्र उनका फूट-फूट कर रो पड़े। गुरु और शिष्य के प्रति अथाह प्रेम देखकर न सिर्फ छात्र रो रहे थे बल्कि वेल्लियाग्राम सारी जनता , बच्चों के अभिभावक, दुकानदार और अन्य लोगों के आंखों में आंसु नहीं रूकी। उधर, गुरू के आंसूओं की धारा किसी विशाल लहर की तरह बही जा रही थी। ऐसा नजारा सिर्फ एक गुरु और शिष्य के बीच का ही हो सकता है। बच्चें, गुरु का हाथ पकड़ कर रो रहे थे और यही कह रहे थे कि आप हमें छोड़कर नहीं जा सकते हैं। बता दें कि यह शिक्षक बच्चों को अंग्रेजी विषय पढ़ाता था।  

भरकस कोशिश के बावजूद नहीं रुका ट्रांसफर 

बता दें कि स्कूल के छात्रों को जब को इस बात की भनक लगी कि अंग्रेजी के टीचर का किसी और स्कूल में ट्रांसफर हो गया है, तो उन्होंने इसके विरोध में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। इस प्रदर्शन में छात्रों के पैरंट्स भी उनका समर्थन कर रहे हैं। छात्रों को सरकार द्वारा लिया गया टीचर के ट्रांसफर का फैसला स्वीकार नहीं है, यह दिखाने के लिए उन्होंने मंगलवार को स्कूल नहीं जाने का भी फैसला किया। स्कूल के स्टाफ के मुताबिक हम में से बहुतों के लिए वह एक भाई की तरह हैं।' भगवान इस स्कूल में पिछले चार सालों से पढ़ा रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने स्टूडेंट्स के साथ एक दोस्त जैसा रिश्ता बना लिया था।

टॅग्स :तमिलनाडु
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