कोरोना वायरस से पूरे देश में हंगामा बरपा हुआ है और इससे मरने वालों की संख्या 50 तक पहुंच चुकी है और कुल संक्रमित लोगों की संख्या 1965 हो गई है। इस बीच निजामुद्दीन मरकज मामले मामले को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया और सरकार को आड़े हाथ लिया है।
एआईएमआईएम ने एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'इस मीडिया ने कोविड-19 को एक मजहब का रूप दे दिया। कोई मुल्क इसको मजहब से नहीं जोड़ रहा है। सब कह रहे हैं कि मिलकर इसका मुकाबला करना है, लेकिन मीडिया के लोग इतने बेशर्म हैं, पत्रकारिता के नाम पर धब्बा हैं ये लोग। ये मजहब को इससे (कोरोना) से जोड़ रहे हैं।'
ओवैसी ने कहा, 'संसद को क्यों नहीं बंद किया गया, 13 मार्च को स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है कि ये कोविड स्वास्थ्य का मामला नहीं है, संसद चलती है, मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाती है, हजारों की तादात में लोग खुशियां मनाते होंगे दफ्तर में आकर, तब आपको याद नहीं आया। आज से चंद दिन पहले दिल्ली में हजारों लोग जो उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार से हैं भूख के चलते वहां से निकल जाते हैं। उस समय आपने (सरकार) कुछ नहीं बोला।'
आगे उन्होंने कहा, 'भारत बंद खत्म होने के बाद लोग बाहर निकलकर थालियां और बैंड बजा रहे हैं। उस समय आपको नजर नहीं आया। ठीक है दिल्ली में तबलीगी जमात का कार्यक्रम हुआ वहां से लोग निकलकर आए, इससे हम इनकार नहीं कर रहे हैं। लेकिन इससे पूरी तबलीगी जमात को खड़ा कर देंगे, इस्लाम को जिम्मेदार खड़ा कर देंगे। ये महामारी है। मीडिया के लोग इस मामले को मजहब से जोड़ रहे हैं, जोकि पूरी तरह से निंदनीय है।'
जमात में हिस्सा लेने वाले 5,000 से ज्यादा लोगों को पृथक तौर पर रखा गया है। इनमें से कुछ लोगों को राज्यों के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किया गया है। इसके साथ ही गुजरात, तमिलनाडु और तेलंगाना सहित अन्य जगहों पर 2,000 अन्य लोगों का पता लगाया जा रहा है। इस सूची में विदेशी भी शामिल हैं जबकि राज्य के अधिकारियों ने ऐसे कुछ लोगों की पहचान की है जो दिल्ली से अपने अपने गृह नगर नहीं लौटे हैं।