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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, 'रिटायर्ड जिला जजों को 19 हजार रुपये की पेंशन मिलती है, जो उचित नहीं है, आखिर 62 साल की उम्र में वो फिर से वकालत तो नहीं कर सकते हैं'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: February 27, 2024 12:59 IST

सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जिला जजों को पर्याप्त पेंशन नहीं मिलने पर असंतोष जताते हुए कहा कि जिला जजों के इतने लंबे सेवाकाल के बाद भी उन्हें महज 19,000 से 20,000 रुपये का पेंशन मिल रहा है, जो कहीं से भी मुनासिब नहीं है।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जिला जजों को पर्याप्त पेंशन नहीं मिलने पर गंभीर असंतोष जताया रिटायर होने के बाद जजों को महज 19,000 से 20,000 रुपये का पेंशन मिल रहा है, जो मुनासिब नहीं हैसरकार यथाशीध्र जिला जजों के पेंशन की इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास करें

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेवानिवृत्त जिला जजों को पर्याप्त पेंशन नहीं मिलने पर असंतोष जताते हुए कहा कि जिला जजों के इतने लंबे सेवाकाल के बाद भी उन्हें महज 19,000 से 20,000 रुपये का पेंशन मिल रहा है, जो कहीं से भी मुनासिब नहीं है।

समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार न्यायिक अधिकारियों के लिए पेंशन योजना के मामले की सुनवाई करते हुए देश की सर्वेच्च अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वो यथाशीध्र इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास करें।

इस संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "अटॉर्नी जनरल, यह एक बेहद गंभीर मुद्दा है। सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीशों को इतनी लंबे समय की अवधि तक न्यायिक सेवा को दिये जाने के बाद 19,000 से 20,000 रुपये का पेंशन दिया जाना कहीं से भी उचित नहीं है। ऐसी पेंशन पाकर वे वास्तव में अक्षम हैं।"

मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इन न्यायाधीशों ने न्याय के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है और 61-62 साल की उम्र में वे अचानक वकालत में नहीं उतर सकते और न ही हाईकोर्ट जा सकते हैं।

उन्होंने केस में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणी से कहा कि सरकार कोर्ट के सामने सेवानिवृत्त न्यायिक जजों/अधिकारियों के लिए दी जा ही पेंशन के संबंध में जल्द से जल्द "न्यायसंगत समाधान" पेश करे। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने यह भी कहा, "हम इस समस्या का उचित समाधान चाहते हैं। जिला न्यायाधीश वास्तव में पीड़ित हैं और इस बात को आप भी जानते हैं।"

बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि कुछ हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "उच्च न्यायालय में भी कुछ ऐसे न्यायाधीशों हैं, जिनके पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। आप इस पर भी गंभीरता से गौर करें।"

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के इस कथन पर अटॉर्नी जनरल ने कहा, "मैं इस पर जरूर गौर करूंगा, लेकिन इसमें उच्च न्यायालय के केवल कुछ न्यायाधीश होने चाहिए, सभी नहीं हो सकते हैं।"

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने पहले ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन मामले में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए न्यायाधीशों के वेतन और सेवा शर्तों से संबंधित निर्देश जारी किए थे।

पिछले महीने शीर्ष अदालत ने राज्यों को 29 फरवरी तक एसएनजेपीसी का बकाया चुकाने का निर्देश दिया था और उच्च न्यायालयों से कार्यान्वयन की निगरानी के लिए समितियां गठित करने को कहा था।

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