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उच्चतम न्यायालय ने यूनिटेक मामले में चंद्रा बंधुओं को महाराष्ट्र स्थित जेलों में भेजने का आदेश दिया

By भाषा | Updated: August 26, 2021 21:27 IST

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उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यूनिटेक के पूर्व प्रर्वतकों-संजय और अजय चंद्रा को दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल से महाराष्ट्र में मुंबई स्थित ऑर्थर रोड जेल और रायगढ़ स्थित तलोजा जेल भेजने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा यह सूचित किए जाने के बाद दिया कि ये लोग जेल कर्मियों की मिलीभगत से जेल परिसर के भीतर से ही कारोबार चला रहे हैं। शीर्ष अदालत ने ईडी द्वारा प्रस्तुत की गईं दो स्थिति रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत को लेकर कहा कि तिहाड़ जेल अधीक्षक और अन्य जेल कर्मी ‘‘पूरी तरह बेशर्म’’ हैं। इसने कहा कि रिपोर्ट में न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन और इसके अधिकारक्षेत्र को कमतर करने जैसे ‘‘गंभीर और व्यथित करेने वाले मुद्दे’’ उठाए गए हैं। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि चंद्रा बंधु ऑर्थर रोड और तलोजा जेलों में अलग-अलग बंद रहेंगे। पीठ ने कहा कि उसका मत है कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से संकेत मिलता है कि इस अदालत के आदेशों के बावजूद तिहाड़ केंद्रीय कारागार परिसर के भीतर गतिविधियां हो रही हैं जहां दो आरोपी बंद हैं, जो अदालत के अधिकार को कमतर करने तथा जांच को पटरी से उतारने संबंधी प्रतीत होती हैं। इसने अपने आदेश में कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में हम दोनों आरोपियों-अजय चंद्रा और संजय चंद्रा को तिहाड़ जेल से ऑर्थर रोड जेल, मुंबई और तलोजा केंद्रीय कारागार स्थानांतरित करने का निर्देश देते हैं।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘हम सभी को कहना होगा कि तिहाड़ जेल के कर्मी बेशर्म हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह...राजधानी में हो रहा है? हम निश्चित तौर पर उनके खिलाफ कदम उठाएंगे। पहले हम आरोपियों को इस जेल से स्थानांतरित करेंगे।’’ पीठ ने कहा कि संजय और अजय के आचरण तथा जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पेश दो रिपोर्ट में आदेशों के उल्लंघन तथा न्यायालय के क्षेत्राधिकार को कमतर करने संबंधी ‘‘गंभीर एवं व्यथित करने वाले’’ मुद्दे उठाए गए हैं। न्यायालय ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त से कहा कि वह चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत के मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारियों के आचरण की व्यक्तिगत रूप से तत्काल जांच शुरू करें और चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पीठ ने ईडी से कहा कि वह अपनी छापेमारी के दौरान जब्त की गईं चीजों को अपने पास रखे और हर पहलू की जांच करे। इससे पहले आज, उच्चतम न्यायालय में आश्चर्यजनक खुलासा करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उसने यहां एक ‘‘गुप्त भूमिगत कार्यालय’’ का पता लगाया है जिसका संचालन पूर्ववर्ती यूनिटेक संस्थापक रमेश चंद्रा द्वारा किया जा रहा है तथा उसके पुत्रों-संजय चंद्रा और अजय चंद्रा ने पैरोल या जमानत पर रहने के दौरान इसका दौरा किया।चंद्रा बंधुओं और यूनिटेक के खिलाफ धनशोधन के आरोपों की जांच कर रहे ईडी ने शीर्ष अदालत से कहा कि संजय और अजय दोनों ने समूची न्यायिक हिरासत को निरर्थक कर दिया क्योंकि वे जेल के भीतर से खुलेआम अपने अधिकारियों से संपर्क करते रहे हैं और उन्हें निर्देश देते रहे हैं तथा अपनी संपत्तियों से संबंधित मामले निपटाते रहे हैं।पीठ को ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने बताया कि चंद्रा बंधुओं ने अपने निर्देश बाहरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए जेल के बाहर अपने अधिकारियों की नियुक्ति कर रखी है। उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘हमारे छापेमारी और जब्ती अभियानों में से एक के दौरान हमने एक गुप्त भूमिगत कार्यालय का पता लगाया है जिसका इस्तेमाल रमेश चंद्रा द्वारा किया जा रहा है और उसके बेटों ने पैरोल या जमानत पर जेल से बाहर रहने के दौरान इसका दौरा किया।’’ दीवान ने कहा, ‘‘हमने कार्यालय से सैकड़ों बिक्री दस्तावेज, सैकड़ों डिजिटल हस्ताक्षर और भारत तथा विदेश में उनकी संपत्तियों के संबंध में संवेदनशील जानकारी से युक्त अनेक कंप्यूटर बरामद किए हैं।’’ उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी ने अदालत में सीलबंद लिफाफे में दो स्थिति रिपोर्ट दायर की हैं और यूनिटेक लिमिटेड की भारत तथा विदेश में स्थित 600 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है। दीवान ने रेखांकित किया कि एजेंसी ने मुखौटा कंपनियों के माध्यम से किए जा रहे ‘‘सिलसिलेवार वित्तीय लेन-देन के अत्यंत जटिल तंत्र’’ का पता लगाया है और इसके साथ ही संपत्तियों का निपटान भी किया जा रहा है जिससे जांच में समस्या आ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘वे (चंद्रा) जेल परिसर के भीतर से काम कर रहे हैं। उन्होंने समूची न्यायिक हिरासत को निरर्थक कर दिया है। वे जेल परिसर के बाहर नियुक्त लोगों की मदद से खुलेआम संपर्क स्थापित कर रहे हैं और निर्देश दे रहे हैं। ईडी को पता चला है कि उन्होंने एक डमी निदेशक को उस समय प्रभावित करने की भी कोशिश की जब एजेंसी उससे पूछताछ कर रही थी।’’ चंद्रा बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि जेल नियमावली के खिलाफ कुछ भी नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत ने चार जून को संजय चंद्रा को उसके ससुर के अंतिम संस्कार संबंधी रस्म में शामिल होने के लिए 15 दिन की अंतरिम जमानत दी थी जिसके बाद उसने समर्पण कर दिया था। संजय और अजय दोनों गृह क्रेताओं के धन की हेराफेरी करने के आरोपी हैं और दोनों अगस्त 2017 से जेल में बंद हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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