लाइव न्यूज़ :

सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त उपहार योजना पर केंद्र से पूछा, "क्यों नहीं इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुला रहे हैं, हमारे आदेश पारित करने से क्या होगा"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 24, 2022 19:46 IST

देश की सर्वोच्च अदालत ने मुफ्त उपहार के विषय में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से प्रश्न किया कि चूंकि यह मामला सभी राजनैतिक दलों का है, इसलिए आपने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए अब तक सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलवाई।

Open in App
ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि मुफ्त उपहार योजना पर सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलायाकोर्ट ने कहा इस विषय में हल तभी निकलेगा जब सभी राजनीतिक दलों में सर्वसम्मति होगी मान लीजिए कि अगर हम कोई आदेश पारित भी कर देते हैं तो कौन उसकी परवाह नहीं करेगा

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों के विषय में पैदा हुए विवाद की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि वो इस मुद्दे के सार्थक हल के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को मुफ्त उपहार के विषय से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से प्रश्न किया कि चूंकि यह मामला सभी राजनैतिक दलों का है, इसलिए आपने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए अब तक सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलवाई।

मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमण की बेंच ने कोर्ट में मौजूद केंद्र सरकार के प्रतिनिधि से कहा मुफ्त उपहार से होने वाले आर्थिक नुकसान के मुद्दे को तब तक नहीं सुलझाया जा सकता, जब तक कि इस विषय में सभी राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति का भाव न हो।

चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा, “यहां पर व्यक्ति नहीं बल्कि राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं जो और मतदाताओं से मुफ्त योजनाओं का वादा करते हैं। हमारे लोकतांत्रिक प्रणाली में व्यक्तियों का अधिक महत्व नहीं हो सकता है यह तो सभी राजनीतिक दलों के बीच का समान मुद्दा है। इसलिए जब तक सभी राजनीतिक दलों के बीच मुफ्त उपहारों की घोषणा को रोकने के लिए सर्वमान्य दृष्टिकोण पैदा नहीं है, तब तक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली मुफ्त योजनाओं को हम नियंत्रण में नहीं कर सकते। मान लीजिए कि अगर हम कल को कोई आदेश पारित भी कर दें तो कौन उसकी परवाह नहीं करेगा। आखिर हम भारत सरकार से पूछते हैं कि वो क्यों नहीं सभी राजनीतिक दलों से बात करके इस मुद्दे को अपनी सीमा में हल करने का प्रयास कर रही है।”

समाचार वेबसाइट 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक चीफ जस्टिस की बेंच ने उस व्यक्ति के संबंध में भी अपनी चिंता व्यक्त की, जो इस मुद्दों के समाधान के लिए सुझाव देने के लिए गठित की जाने वाली समिति का नेतृत्व करेंगे। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सुझाव दिया था कि इस मुद्दे पर बनने वाली समिति का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें। चीफ जस्टिस एनवी रमण ने उदासीन होते हुए कहा, "जो व्यक्ति सेवा से रिटायर हो जाता है, उसका भारत में कोई मूल्य नहीं रहता है।"

इस मामले में कोर्ट के सामने पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले राजनीति दलों द्वारा मुफ्त उपहारों की घोषणा करना वाकई भारतीय लोकतंत्र में बहुत गंभीर समस्या है। प्रशांत भूषण ने कहा कि राजनीतिक दल चुनाव से ठीक 6 महीने पहले जिस तरह से मतदाताओं को मुफ्त उपहार देने की बात करते हैं, ऐसा लगता है कि वो मतदाताओं को रिश्वत देने का प्रयास कर रहे हैं।

वहीं प्रशात भूषण की दलील से अगल तर्क पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस विषय में क्या किया जाना है, इस पर निर्णय लेने से पहले राजनीतिक दलों के बीच "व्यापक बहस" की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "हम एक ऐसे दलदल में प्रवेश कर रहे हैं, जिसमें हम खुद को नहीं संभाल पाएंगे। हमें उस दलदल से बाहर निकलना होगा और एक ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिसे हम वहन कर सकें।”

केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे तुषार मेहता ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों की घोषणा के कारण एक ऐसा माहौल तैयार हुआ, जिसमें माना जाता है कि मतदाता ऐसी घोषणाओं को पसंद करते हैं और उनसे प्रभावित भी होते हैं। इसके साथ ही तुषार मेहता ने बेंच को उन स्वायत्त संस्थानों की सूची पेश की, जिनसे कोर्ट इस संबंध में सुझाव मांग सकता है।

जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “मौजूदा सियासी हालात में ऐसी भी पार्टियां हैं, जो न राज्य में हैं और न ही केंद्र में लेकिन उसके बावजूद वो मुफ्त उपहार देने की बात कह रही हैं। राजनीतिक दल मुफ्त उपहार के जरिये मतदाताओं को फुसला रहे हैं कि वो उन्हें वोट करें। मतदाता को यह नहीं पता होता कि चुनाव के बाद उन योजनाओं से किस तरह का आर्थिक नुकसान होगा लेकिन इसमें कसूर तो राजनीतिक दलों का है, जो चुनाव के बाद मतदाताओं को चांद दिलाने का भी वादा कर सकते हैं।"

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टएन वेंकट रमणकपिल सिब्बलप्रशांत भूषणTushar MehtaCentral Government
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत

भारतसुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को सफलता की कहानियों वाले दिव्यांग लोगों को शो में बुलाने और इलाज के लिए पैसे जुटाने का दिया निर्देश

भारत"कोर्ट के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है...", दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई