आज होगी धारा 377 की याचिका पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मांग ठुकराई

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: July 10, 2018 06:15 IST2018-07-10T06:15:21+5:302018-07-10T06:15:21+5:30

समलैंगिकता को अपराध मानने वाली भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा।

supreme court admonished the centre delay in filing a response to petitions against section-377 | आज होगी धारा 377 की याचिका पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मांग ठुकराई

आज होगी धारा 377 की याचिका पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मांग ठुकराई

नई दिल्ली, 10 जुलाई : समलैंगिकता को अपराध मानने वाली भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। की संविधान पीठ मंगलवार यानि कल से सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने की मांग ठुकरा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने का फैसला बहाल कर दिया था।

धारा 377 के खिलाफ दायर याचिका पर 10 जुलाई से सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

वहीं,  केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से धारा 377 के खिलाफ याचिका डाली है। ऐसे में हाल ही में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि 10 जुलाई को ही धारा 377 के खिलाफ डाली गई याचिकाओं पर सुनवाई होगी। यह याचिका इस कानून के खिलाफ डाली गई है। इसमें लेस्बियन, गे, बाय सेक्सुएल और ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए अधिकारों की मांग की गई है।

आज कोर्ट समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में लाने के विरुद्ध दायर की गई याचिका पर सुनवाई करेगी। इससे पहले साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में ही रखा था। गौरबतल है कि भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। 

दुनिया के वो देश जहां समलैंगिक शादी अब 'हौवा' नहीं है

आईपीसी की धारा 377 के तहत यदि 2 लोग आपसी सहमति या असहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाते हैं और बाद में दोषी पाए जातें हैं तो उन्हें 10 की कैद से लोकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।   समलैंगिकता की याचिका पर पांच सदस्यों की पीठ सुनवाई करेगी। 

हाल ही में केशव सूरी ने अपने पार्टनर सेरिल फ्यूलेबोइिस के साथ पेरिस में शादी की है। साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा 377 समलैंगिकता को दंडनीय अपराध की कैटगेरी से बाहर कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने इस आदेश को रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पहले धारा 377 पर कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले को दोषपूर्ण बताया गया है। 

बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अनुसार सेम सेक्स के दो लोगों के बीच सेक्सुअल इंटरकोर्स अनैचुरल यानी प्रकृतिक के खिलाफ माना गया है। ऐसा करने पर आजीवन कारावास का प्रावधान है।

Web Title: supreme court admonished the centre delay in filing a response to petitions against section-377

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