Sunita Williams Homecoming Live Updates: अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने कमाल और धमाल कर दिया। नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स यूं तो पहले भी दो बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जा चुकी हैं लेकिन शायद ही उन्होंने यह कल्पना की होगी कि तीसरी बार अंतरिक्ष में जाने के बाद उन्हें वापसी के लिए लंबा इंतजार करना होगा और यह घटना इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने दो अन्य अंतरिक्षयात्रियों के साथ स्पेसएक्स यान पर सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को अलविदा कहा।
भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स की यह तीसरी अंतरिक्ष उड़ान थी और उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 608 दिन बिताए हैं। पूर्व अमेरिकी नौसैन्य कप्तान विलियम्स (59) का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। उनके पिता दीपक पांड्या गुजरात के मेहसाणा जिले के झूलासन से ताल्लुक रखते हैं तथा मां उर्सुलाइन बोनी पांड्या स्लोवेनिया से हैं।
अपनी बहु-सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करते हुए विलियम्स अपने साथ अंतरिक्ष में अपनी विरासत के प्रतीक ले जा चुकी हैं, जिनमें समोसे, स्लोवेनियाई ध्वज और भगवान गणेश की मूर्ति शामिल हैं। पिछले वर्ष जून में बुच विल्मोर के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपने तीसरे मिशन पर रवाना हुईं विलियम्स ने एक महिला द्वारा अंतरिक्ष में सर्वाधिक चहलकदमी किए जाने का रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया।
उनका यह तीसरा मिशन 286 दिन का रहा। विलियम्स के नाम संबंधित मिशन क्रम में अब 62 घंटे और नौ मिनट का अतिरिक्त सक्रिय समय दर्ज है, जिससे उन्होंने पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के 60 घंटे और 21 मिनट के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। सुनीता विलियम्स को बचपन से ही विज्ञान में रुचि थी, लेकिन उनका सपना पशु चिकित्सक बनना था।
उनके भाई जय का अमेरिकी नौसेना अकादमी में चयन हुआ था और वहां जाने के बाद सुनीता ने नौसेना अधिकारी बनने का सपना देखा। यह वह समय था जब महशूर अभिनेता टॉम क्रूज अभिनीत ‘टॉप गन’ धूम मचा रही थी। जब विलियम्स को नौसेना विमानन प्रशिक्षण कमान में शामिल होने का अवसर मिला तो वह लड़ाकू विमान उड़ाना चाहती थीं लेकिन उन्हें हेलीकॉप्टर का विकल्प चुनना पड़ा।
वह 1989 में नौसेना एविएटर बनीं और उन्होंने नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया में ‘हेलिकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8’ में सेवा दी, इसके अलावा उनकी तैनाती ‘डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के समर्थन में भूमध्य सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी में भी की गई। विलियम्स ने सैनिकों और मानवीय सहायता के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उनके नेतृत्व कौशल और विषम परिस्थितियों में कार्य करने की क्षमता ने उन्हें भविष्य के अंतरिक्ष यात्री के रूप में अग्रसर किया। विलियम्स को 1998 में नासा ने अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना और उन्होंने ‘जॉनसन स्पेस सेंटर’ में प्रशिक्षण लिया।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ भी काम किया। वह नौ दिसंबर 2006 को ‘अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी’ पर सवार होकर अपने पहले मिशन पर रवाना हुईं और आईएसएस अभियान 14 और 15 में शामिल होकर 195 दिनों के लिए कक्षा में रहीं। विलियम्स 17 जुलाई 2012 को रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज पर सवार होकर अंतरिक्ष स्टेशन पर चार महीने के प्रवास के बाद वापस आईं और 19 नवंबर को पृथ्वी पर लौट आईं। वह 16 अप्रैल 2007 को अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली पहली व्यक्ति बनीं।
उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर ट्रेडमिल पर बोस्टन मैराथन चार घंटे और 24 मिनट में पूरी की। वह 2012 में अपनी दूसरी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का नेतृत्व करने वाली एकमात्र दूसरी महिला बनीं। उन्होंने स्टेशन के संचालन की देखरेख की, कक्षा में एक ट्रायथलॉन पूरा किया, और अंतरिक्ष में चहलकदमी के दौरान सूर्य को आभासी तौर पर ‘‘स्पर्श’’ करती हुई एक तस्वीर भी खींची।
विलियम्स ने अपने अंतरिक्ष मिशन के तुरंत बाद 2007 और 2013 सहित कम से कम तीन बार भारत का दौरा किया है और उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विलियम्स को एक पत्र लिखकर उन्हें भारत की बेटी बताया था और देश आने का निमंत्रण दिया था। उनके पति माइकल जे. विलियम्स संघीय पुलिस अधिकारी हैं।
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की धरती पर सुरक्षित वापसी की खुशी में बुधवार को गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित उनके पैतृक गांव झूलासन में जश्न मनाया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने अतिशबाजी की, मिठाइयां बांटीं, नृत्य किया और पूजा-अर्चना की।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी ‘एक्स’ पर सुनीता विलियम्स को बधाई दी और कहा कि भारत के लोग ‘‘हमारी’’ धरती से उनके जुड़ाव पर गर्व महसूस करते हैं। जैसे ही अंतरिक्ष यात्री विलियम्स और बुच विल्मोर को लेकर ‘स्पेसएक्स’ का यान अमेरिका में फ्लोरिडा तट के पास उतरा, गांव के लोग खुशी से झूम उठे, आतिशबाजी की गई, नाचने लगे और मंदिर परिसर में हर-हर महादेव के जयकारे लगाने लगे।
विलियम्स की सुरक्षित वापसी के लिए ग्रामीणों ने एक यज्ञ किया था। ग्रामीणों ने कहा कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है और उन्हें उम्मीद है कि विलियम्स जल्द ही अपने पैतृक गांव भी आएंगी तथा स्कूली छात्रों को सफलता के लिए प्रेरित करेंगी। इस मौके का जश्न मनाने के लिए सभी विद्यार्थी सुबह करीब साढ़े नौ बजे सरकारी स्कूल में इकट्ठा हुए।
उन्होंने पारंपरिक गुजराती लोक नृत्य गरबा किया और देवी डोला माता के मंदिर तक जुलूस निकालने के लिए कतार में खड़े हो गए। जैसे ही जुलूस स्कूल परिसर से देवी डोला माता के मंदिर तक पहुंचा, छात्रों ने नृत्य किया और गीत गाए तथा रास्ते में मिठाइयां बांटीं। स्कूल शिक्षकों ने कहा कि देवी ने उनकी प्रार्थना सुन ली और विलियम्स को घर वापस ले आईं।
उन्होंने कहा कि देवी को आभार जताने के लिए जुलूस और मंदिर में प्रार्थना की गई। प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक विशाल पंचाल ने कहा कि विलियम्स की वापसी पर पूरा गांव खुशी से झूम उठा है और गर्व महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे गांव की बेटी दुनिया का गौरव है। वह इतने लंबे समय तक अंतरिक्ष में रही और सुरक्षित वापस आई।
हमने गरबा किया, आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटीं। हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।’’ इस संबंध में एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘‘जब सुनीता विलियम्स पिछले साल पांच जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुईं और उनके मिशन में देरी हुई तो हमने 27 जून को यहां एक अखंड ज्योति जलाई और उनके लिए प्रार्थना करते हुए डोला माता के मंदिर तक अखंड ज्योति लेकर जुलूस निकाला।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें बहुत गर्व और खुशी है कि वह धरती पर लौट आईं। हम एक ही परिवार से हैं। सुनीता बच्चों के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं, जो सभी उनकी तरह बनना चाहते हैं।’’ ग्रामीणों ने मंदिर में देवी के पास सुनीता विलियम्स की तस्वीर रखकर प्रार्थना की और देवी के प्रसाद के रूप में मिठाई बांटी। झूलासन के सभी लोग टेलीविजन पर इस घटना का सीधा प्रसारण देखने के लिए गांव के मंदिर में एकत्र हुए।
सभी की निगाहें सुनीता की सुरक्षित वापसी पर टिकी थीं। सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्षयात्रियों को लेकर कैप्सूल रूपी यान जैसे ही उतरा, ग्रामीणों ने आतिशबाजी शुरू कर दी और ‘हर हर महादेव’ के जयकारे लगाते हुए हर कोई झूमने लगा। लगभग नौ माह तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहने के बाद जब सुनीता की वापसी जल्द होने की खबर आई तो तभी से झूलासन में उत्साह का माहौल बना हुआ था।
उनके नजदीकी रिश्तेदार नवीन पांड्या ने कहा कि गांव के लोगों ने सुनीता की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की और अखंड ज्योति जलाई। उन्होंने कहा कि गांववाले सुनीता को झूलासन में आमंत्रित करने के लिए उत्सुक हैं। सुनीता विलियम्स कम से कम तीन बार भारत की यात्रा पर आ चुकी हैं।
वह 2007 और 2013 में अंतरिक्ष मिशन के बाद भारत आई थीं। उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनके पिता दीपक पांड्या मूल रूप से झूलासन से थे और 1957 में अमेरिका चले गए थे। मुख्यमंत्री पटेल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘हमारी अपनी सुनीता विलियम्स और ‘क्रू9’ अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर नौ माह के असाधारण मिशन के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के लिए हार्दिक बधाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनका अटूट समर्पण लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।
हम सुनीता के हमारे देश से जुड़ाव पर गर्व महसूस करते हैं, उन्हें हमारी साझा विरासत और आकांक्षाओं के एक बेहतरीन उदाहरण के रूप में देखते हैं।’’ शिक्षा मंत्री प्रफुल पंशेरिया ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों ने विलियम्स की वापसी के लिए प्रार्थना की और अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला दिवंगत कल्पना चावला को भी याद किया।