दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस्लाम को विश्व का लोकप्रिय धर्म मानते हुए कहा कि इसका यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए कि भारतीय मुसलमान अरबों की संस्कृति फॉलो करें। इस्लाम को लेकर अपने विचारों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले पूर्व भाजपा सांसद स्वामी ने एक प्रश्न खड़ा करते हुए सवाल किया है कि आखिर साल 1947 में मुल्क का बंटवारा हुआ और अगर हिंदू अपने क्षेत्र को हिदुस्तान नहीं बनाना चाहते थे तो फिर मुल्क बंटा ही क्यों?
ट्विटर पर अपनी बात रखते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, "यदि हम हिंदुओं का विभाजन किए भारत के अपने हिस्से को हिंदुस्तान बनाने का कोई इरादा नहीं था तो हम विभाजन के लिए क्यों सहमत हुए? इस्लाम एक बहुत ही लोकप्रिय धर्म है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हिंदुस्तान में मुसलमानों की संस्कृति अरबी होनी चाहिए।"
इसके साथ ही स्वामी ने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र की बात छेड़ते हुए कहा कि आने वाले समय में भारत जरूर हिंदू राष्ट्र बनेगा। इसके पहले हिजाब विवाद का काफी मुखर होते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि ये इस्लाम की आवश्यक प्रथा नहीं है, इसलिए इसे स्कूलों में फॉलो किया जाना बेकार की बात है।
स्वामी ने मुस्लिम विद्वानों को चुनौती देते हुए कहा था, "हिजाब इस्लामिक प्रथा का महत्वपू हिस्सा नहीं है। अगर ऐसा है और अगर कुरान में कहीं भी ऐसा करना धर्म के अनुसार जरूरी है तो आप मुझे दिखा दें कि हिजाब इस्लाम का महत्वपूर्ण भाग है, अगर ऐसा है तो मैं पहला इंसान हूंगा, जो हिजाब के पक्ष में खड़ा होगा।"
इसके साथ ही सुब्रमण्यम स्वामी ने हिजाब विवाद पर यह भी कहा था कि हम अक्सर देखते हैं कि लगभग सभी मुद्दों पर हिंदू-मुस्लिम होता रहता है। राम जन्मभूमि मामले में भी कहा गया था कि आप मस्जिद को हाथ नहीं लगा सकते। स्वामी ने हिजाब पर फिर वापस आते हुए कहा कि अगर हिजाब इस्लाम का महत्वपूर्ण संस्कृति का हिस्सा है तो संसद में कई मुस्लिम महिला सांसद साड़ी में आती हैं तो क्या उन महिला सांसदों ने इस्लाम का अपमान किया है।