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सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, 'अम्बेडकर के पास सर्वश्रेष्ठ शिक्षा थी, इसलिए वो नेहरू से ज्यादा ब्राह्मण थे'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 2, 2022 15:03 IST

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि संविधान के जनक डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की तुलना में ज्यादा ब्राह्मण थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास नेहरू के मुकाबले सर्वश्रेष्ठ शिक्षा थी।

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ठळक मुद्देसुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अम्बेडकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की तुलना में ज्यादा ब्राह्मण थेस्वामी ने कहा कि शिक्षा के आधार पर अम्बेडकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की तुलना में श्रेष्ठ थे हिंदूओं में जिन चार वर्णों का उल्लेख मिलता है, वह रक्त नहीं बल्कि चरित्र के आधार पर बने हैं

मैसूर: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने मैसूर विश्वविद्यालय में आयोजिक क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के 60वें स्थापना दिवस समारोह पर सरदार पणिक्कर स्मृति व्याख्यान में बोलते हुए कहा कि इस बात में किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है।

कार्यक्रम में भाग लेते हुए स्वामी ने बीते सोमवार को कहा कि हिंदू जीवन पद्धति में चार वर्णों का उल्लेख मिलता है, जो रक्त के आधार पर नहीं बल्कि चरित्र के आधार पर उल्लेखित हैं।

अपनी बात को साबित करने के लिए स्वामी ने गीता में दिये कृष्ण के व्याख्यान का उदाहरण देते हुए कहा, "स्वयं भगवान कृष्ण ने भागवत गीता में कहा है कि यदि व्यक्ति बुद्धि से उदार और साहसी है, तो वह ब्राह्मण है। इस लिहाज से मैं समझता हूं कि संविधान के जनक डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर पंडित जवाहर लाल नेहरू से ज्यादा ब्राह्मण थे न कि वो अनुसूचित जाति के थे। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि उनके पास सर्वश्रेष्ठ शिक्षा थी। उन्होंने दुनिया के कई मशहूर विश्वविद्यालयों से डिग्रियां ली थीं, पीएचडी किया था।"

समाचार वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक अम्बेडकर की शिक्षा का हवाला देते हुए परोक्ष रूप से नेहरू पर अटैक करते स्वामी ने कहा कि वो नेहरू की बनिस्पत अम्बेडकर को इसलिए ज्यादा ब्राह्मण मानते हैं क्योंकि अध्ययन के लिए नेहरू भी विदेश गये थे लेकिन उन्होंने अम्बेडकर के मुकाबले उस तरह की कोई उच्च शिक्षा में डिग्री नहीं ली, जैसी की अम्बेडकर ने लिया।

स्वामी ने अपने व्याख्यान में कहा कि एनसीईआरटी ने देश के इतिहास को फिर से लिखने का सबसे बेहतरीन काम किया है। उन्होंने कहा, “मौजूदा वक्त में बच्चों के पाठ्यपुस्तकों में शामिल किये गये इतिहास को या तो ब्रिटिश या भारतीय ट्यूटर्स द्वारा तैयार किया गया है। जिसमें ब्रिटिश विचारों का प्रभाव साफ देखा जा सकता है।"

सुब्रमण्यम स्वामी ने आगे कहा, "मौजूदा इतिहास लेखकों ने बताया कि भारत टुकड़ों में बंटा हुआ था, जिसे अंग्रेजों ने एक किया। द्रविड़ यहां के मूल निवासी थे जबकि आर्य पश्चिमी यूरोप से आए थे। ये सभी गलत तथ्य हैं। कई विश्वविद्यालयों के रिसर्च से यह स्पष्ट होता है कि लगभग-लगभग सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा है। उत्तर और दक्षिण की कोई अलग जाति नहीं थी और इस तथ्य को इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।"

व्याख्यान में स्वामी ने हिंदूओं के मुस्लिमों की तुलना में अधिक सहिष्णु बताते हुए कहा कि हिंदू धर्म की कभी किसी धर्म के प्रति शत्रुता नहीं थी, लेकिन इस्लाम अपने जिहाद आंदोलन के कारण आक्रामक था और यही विषय इस्लाम को हिंदुओं की तुलना में कम सहिष्णु ठहराती है।

स्वामी ने कहा, "बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे इस्लाम बहुल देश में हिंदुओं के साथ बुरा व्यवहार हो रहा है। बांग्लादेश में पहले हिंदुओं की आबादी 32 फीसदी थी, जो इस समय में घटकर 7 फीसदी रह गई है। ठीक उसी तरह अगर पाकिस्तान की बात करें तो, वहां हिंदुओं की संख्या 24 फीसदी से घटकर 2 फीसदी रह गई है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि हिंदू इस्लाम सहित किसी भी अन्य धर्म की तुलना में अधिक सहिष्णु हैं।"

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