नई दिल्ली, 4 जुलाई: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राज्य के उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच चल रही जंग पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है। फैसला सीएम केजरीवाल के पक्ष में जाता दिखा है। कोर्ट ने दोनों लोगों को आपसी तालमेल से काम करने के लिए कहा है। इसके बाद सीएम केजरीवाल ने ट्वीट किया 'कोर्ट का फैसला दिल्ली की जनता और लोकतंत्र की जीत है'।
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किसी ने लिखा 'केजरी, अभिसार ,बरखा , राहुल, प्रियंका चतुर्वेदी, जैसे मोदी विरोधियों के बाद औवेसी भी सुषमा जी के समर्थन मे आया! बीजेपी ऐसे ही मतिमंद नेताओं की पार्टी है बिल्कुल सुषमा स्वराज जी की तरह जो विरोधियों का प्यार पाने के लिए अपने ही समर्थकों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करते रहते हैं!!'
तो वहीं किसी ने सीएम केजरीवाल को वापस आक पर आने के लिए सवाल किया है 'केजरीवाल अब तो काम पर जाएंगे ना.....क्या धरणा'
कोई मुझे बताए कि हाल ही में एलजी कार्यालय में क्या हासिल हुआ? क्या वहां कुछ अतिरिक्त प्राप्त हुआ जो पहले से ही नहीं था? मीडिया आकर्षण बनने और पीड़ित का रोल अदा करने के अलवा? हालांकि क्या आप कृपया एक बेकार यात्रा का नाम दे सकते हैं जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं? या क्या मुझे लगता है कि आप बस मोदी से नफरत करते हैं?
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 के एक फैसले में दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित किया था। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की इस अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया। दिल्ली के सीएम और एलजी के अधिकारों पर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों ने एक तरह से शर्तों के साथ दिल्ली का बॉस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को माना है। इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि दिल्ली सरकार को हर फैसले में एलजी की सहमति लेने की जरूरत नहीं है। लेकिन, उपराज्यपाल भी सारे मामले राष्ट्रपति को नहीं भेजेंगे।