नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय तटरक्षक बल के लिए अगली पीढ़ी के छह अपतटीय गश्ती पोतों की खरीद के लिए मझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ बुधवार को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा 1,614 करोड़ रुपये का है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस खरीद का उद्देश्य तटरक्षक बल की समुद्री सुरक्षा क्षमता को बढ़ाना है।
सौदे के बारे में रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह करार खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत कुल 1614.89 करोड़ रुपये में किया गया तथा खरीदे जा रहे छह पोतों में से चार मौजूदा पुराने अपतटीय गश्ती पोतों की जगह लेंगे और अन्य दो पोत तटरक्षक के बेड़े में वृद्धि करेंगे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "ये आधुनिक और उच्च प्रौद्योगिकी वाले पोत निगरानी, कानून प्रवर्तन, खोज और बचाव, समुद्री प्रदूषण से निपटने संबंधी प्रतिक्रिया और मानवीय सहायता सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।"
मंत्रालय ने ये भी बताया है कि कई उच्च तकनीक वाली उन्नत सुविधाओं और उपकरणों से युक्त ये अपतटीय गश्ती पोत बहुउद्देशीय ड्रोन और एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) क्षमताओं से लैस होंगे।
बता दें कि हाल के दिनों में सरकार ने तीनों सेनाओं के साथ ही तटरक्षक बलों को भी ज्यादा ताकतवर बनाने के लिए कई अहम फैसले किए हैं। अपनी आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना को मध्यम दूरी की एंटी-शिप मिसाइल (एमआरएएसएचएम) की खरीद के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से हरी झंडी मिली है। इसके अलावा अंतर-सरकारी ढांचे के तहत मार्च तक अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने को लेकर एक ऐतिहासिक सौदे पर विचार चल रहा है।
भारतीय नौसेना को जल्द ही एक ऐसा ब्रह्मास्त्र भी मिलने वाला है जिसके शष्त्रागार में शामिल होते ही इसकी मारक क्षमता में कई गुना वृद्धि हो जाएगी। डीआरडीओ द्वारा विसकित की जा रही मिसाइल एक एंटी-शिप मिसाइल है। NASM-MR, एक हार्पून क्लास एंटी-शिप मिसाइल है। NASM-MR एक सब-सोनिक क्रूज मिसाइल होगी। भारतीय नौसेना के ये नया हथियार 150 किलोग्राम का वारहेड अपने साथ ले जाने में सक्षम होगा।