चेन्नई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर कटाक्ष करते हुए दावा किया कि केंद्र सरकार ने यूपीए सरकार की तुलना में राज्य को अधिक धनराशि प्रदान की है, लेकिन "कुछ लोग इस पर रोते रहते हैं"। उन्होंने डीएमके नेताओं पर तमिल में नहीं, बल्कि अंग्रेजी में अपने पत्रों पर हस्ताक्षर करने के लिए भी सवाल उठाया।
तमिलनाडु में एक जनसभा में उन्होंने कहा, "2014 से मोदी सरकार के तहत हमने तमिलनाडु के विकास के लिए धन मुहैया कराया है, जो कि सत्ता में रहने के दौरान इंडी गठबंधन की तुलना में तीन गुना अधिक है। उस समय डीएमके इंडी गठबंधन का हिस्सा थी। तमिलनाडु का रेल बजट भी सात गुना बढ़ गया है। कुछ लोगों को बिना वजह रोने की आदत होती है, वे इस पर रोते रहते हैं।"
यह टिप्पणी मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए पत्रों का संदर्भ थी, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से शिक्षा निधि जारी करने का अनुरोध किया था। स्टालिन ने 2024 में प्रधानमंत्री को 15 पन्नों का एक ज्ञापन भी भेजा था, जिसमें चेन्नई की मेट्रो रेल परियोजना के लिए केंद्रीय वित्त पोषण, शिक्षा योजना के फंड जारी करने और श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिल मछुआरों को हिरासत में लेने के मामले का समाधान करने की मांग की गई थी।
पीएम मोदी ने डीएमके नेताओं पर अंग्रेजी में पत्र लिखने के लिए निशाना साधा। उन्होंने एमके स्टालिन की भी आलोचना की और उनके पत्र का हवाला देते हुए कहा, "तमिलनाडु के ये मंत्री अपनी भाषा पर गर्व की बात करते हैं, लेकिन हमेशा मुझे पत्र लिखते हैं और अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं। वे तमिल भाषा का उपयोग क्यों नहीं करते? उनका तमिल गौरव कहां है?"
तमिलनाडु की डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तीन-भाषा नीति को लेकर वाकयुद्ध में उलझी हुई है। स्टालिन ने आरोप लगाया है कि यह नीति "हिंदी थोपने" के बराबर है और भाषाई विविधता और तमिल गौरव को मिटाने का एक प्रयास है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र ने NEP को लागू करने से इनकार करने के कारण राज्य को शिक्षा योजनाओं के लिए वादा किए गए धन को प्रदान नहीं किया है।