मणिपुर में जारी हिंसा को बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने 'राष्ट्रीय शर्म' बताया, पीएम मोदी को दी राष्ट्रपति शासन लगाने की सलाह
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 2, 2023 14:48 IST2023-08-02T14:46:52+5:302023-08-02T14:48:28+5:30
पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मणिपुर हिंसा को राष्ट्रीय शर्म बताया है और कहा है कि संसद भी इस मुद्दे को समझने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को या तो मणिपुर के मुख्यमंत्री को बदलना चाहिए या राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और राज्य के हालात को लेकर पहले से ही घिरी केंद्र सरकार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी कटघरे में खड़ा किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने मणिपुर हिंसा को राष्ट्रीय शर्म बताया है और कहा है कि संसद भी इस मुद्दे को समझने में विफल रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार दिप्रिंट से बात कर रहे थे। इस बातचीत के दौरान उन्होंने मोदी सरकार से मणिपुर में हिंसा को समाप्त करने के लिए "निर्णायक" कार्रवाई करने का आग्रह किया। शांता कुमार ने कहा कि पीएम मोदी को या तो मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बदलना चाहिए या राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए।
शांता कुमार ने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा," एक द्रौपदी चीरहरण (द्रौपदी को निर्वस्त्र करने) के कारण धर्म युद्ध हुआ। यहां (मणिपुर में) हर दिन 'द्रौपदी चीरहरण' हो रहा है और हर कोई मूक दर्शक बन गया है।"
दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में बीजेपी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने मणिपुर मामले पर कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्र सरकार को राज्य में हिंसा और अराजकता को समाप्त करने के लिए तेजी से और निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए। चाहे वह मुख्यमंत्री को हटाकर या राष्ट्रपति शासन लगाकर हो। 80 दिन बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं और आगजनी और हत्या की खबरें अब भी आ रही हैं। यह रुकना चाहिए।"
बता दें कि मणिपुर के मामले को लेकर केंद्र सरकार लगातार घिरती जा रही है। एक तरफ जहां विपक्ष इसे लेकर संसद में हंगामा कर रहा है वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में भी राज्य को हालात को लेकर सुनवाई हो रही है।
मंगलवार, 1 अगस्त को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायलय ने इस मामले में सख्त टिप्पणी भी की और मणिपुर के डीजीपी को शुक्रवार को तलब किया। सख्त टिप्पणी करते हुए जातीय हिंसा के संबंध में मणिपुर पुलिस द्वारा की गई जांच को सुप्रीम कोर्ट ने "सुस्त" बताया और कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था और मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में देरी हुई है। घटना और एफआईआर दर्ज करने, गवाहों के बयान दर्ज करने और यहां तक कि गिरफ्तारियों के बीच काफी चूक हुई है। हम मणिपुर के डीजीपी को निर्देश देते हैं कि वह शुक्रवार दोपहर 2 बजे अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों और अदालत के सवालों का जवाब देने की स्थिति में हों।"