मुंबई: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच बढ़ते तनाव की अटकलों के बीच, नेताओं, खासकर शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के नेताओं की सुरक्षा में कटौती को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। कई नेताओं की वाई श्रेणी की सुरक्षा घटाने के राज्य सरकार के फैसले से खेमे में असंतोष फैल गया है।
सुरक्षा में कटौती सिर्फ शिंदे गुट तक सीमित नहीं है, क्योंकि भाजपा और एनसीपी के नेता भी प्रभावित हुए हैं। सूत्रों से पता चलता है कि यह कदम खतरे के आकलन की समीक्षा पर आधारित था, जिसके कारण उन लोगों की सुरक्षा घटाने का फैसला लिया गया, जो अब ज्यादा जोखिम में नहीं हैं।
राज्य सरकार ने हाल ही में वीआईपी सुरक्षा की व्यापक समीक्षा की, जिसके परिणामस्वरूप सभी दलों के नेताओं की सुरक्षा घटा दी गई। इस फैसले से प्रभावित होने वालों में भाजपा नेता रवींद्र चव्हाण और प्रताप चिखलीकर भी शामिल हैं।
शिंदे गुट के नेताओं को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है, जिन्हें पहले वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी। पहले उन्हें अपने घरों पर पुलिस एस्कॉर्ट और सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए जाते थे, लेकिन नए दिशा-निर्देशों के तहत एस्कॉर्ट वाहनों की संख्या कम कर दी गई है और उनके घरों पर सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी कम कर दी गई है।
आगे चलकर इन नेताओं को यात्रा के दौरान सिर्फ़ एक सुरक्षा गार्ड मिलेगा, जिससे गुट के भीतर निराशा और तीखी प्रतिक्रिया हुई है। शिंदे गुट के नेताओं के लिए बढ़ा हुआ सुरक्षा घेरा सबसे पहले 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद शुरू किया गया था, जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे।
उस समय, बागी विधायकों को संभावित खतरों की चिंताओं के कारण सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। आलोचना के बावजूद, सुरक्षा ढाई साल से अधिक समय तक बनी रही। अब, हाल ही में हुए डाउनग्रेड के साथ, महाराष्ट्र में राजनीतिक तनाव एक बार फिर सामने आ गया है। इस कदम से फडणवीस और शिंदे के बीच मतभेद बढ़ने की अटकलें तेज हो गई हैं, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।