सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ, जानें इससे जुड़ी बड़ी बातें

By आदित्य द्विवेदी | Published: September 26, 2018 10:51 AM2018-09-26T10:51:25+5:302018-09-26T12:03:32+5:30

Reservations in Promotion Verdict Out: सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के नागराज मामले पर पांच जजों की बेंच के फैसले पर दोबारा विचार से इंकार किया है। इससे प्रमोशन में एससी-एसटी के आरक्षण का रास्ता खुल गया है।

SC/ST reservations in promotion: Supreme Court's five-judge bench refuses to refer the Nagaraj judgement to a larger bench | सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ, जानें इससे जुड़ी बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ, जानें इससे जुड़ी बड़ी बातें

नई दिल्ली, 26 सितंबरः प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए 2006 के नागराज मामले पर पांच जजों की बेंच के फैसले पर दोबारा विचार से इंकार किया है। इससे माना जा रहा है कि एससी-एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले को सात जजों की संवैधानिक पीठ के सामने भेजने से मना किया है। 2006 में नागराज से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कहा था कि सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है, लेकिन शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं।

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सालिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं इंदिरा जयसिंह, श्याम दीवान, दिनेश द्विवेदी और पी एस पटवालिया सहित कई वकीलों ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए पदोन्नति में आरक्षण का पुरजोर समर्थन किया था और मांग की थी कि बड़ी पीठ द्वारा 2006 के एम नागराज मामले के पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी राय देते हुए कहा था कि एससी/एसटी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति पर आरक्षण होना चाहिए या नहीं मैं इसपर टिप्पणी नहीं करुंगा, लेकिन इन लोगों ने पिछले 1000 साल से अत्याचार झेला है और आज भी झेल रहे हैं।


12 साल पहले के फैसले में क्या?

देश की शीर्ष अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ सरकारी नौकरी में पदोन्नतियों में अनुसूचित जाति (एसी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणियों में आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर मुद्दे को लेकर उसके 12 वर्ष पुराने फैसले पर फिर से विचार कर रही है। इसके लिए इस पर सुनवाई शुरू हो गई है।

वर्ष 2006 के फैसले में कहा गया था कि एससी/एसटी समुदायों को पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले राज्यों पर इन समुदायों के पिछड़ेपन पर गणनायोग्य आंकड़े और सरकारी नौकरियों तथा कुल प्रशासनिक क्षमता में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में तथ्य उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है। वेणुगोपाल और अन्य वकीलों ने आरोप लगाया कि फैसले ने इन समुदाय के कर्मचारियों की पदोन्नति को लगभग रोक दिया है।

प्रमोशन में आरक्षण के आलावा सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आधार की वैधता और अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग जैसे बड़े फैसलों पर भी फैसला सुनाएगा। इन सभी खबरों की ताजा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए LokmatNews.in

English summary :
Reservations in Promotion Verdict Out: Reservation in the promotion, the Supreme Court has ruled out the decision of the Bench Judge of five judges on the Nagraj case of 2006, while pronouncing a big decision. It is being believed that the way for reservation for SC-ST has become clear in the promotion.


Web Title: SC/ST reservations in promotion: Supreme Court's five-judge bench refuses to refer the Nagaraj judgement to a larger bench

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे