दिल्ली सेवा अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने याचिका पर 4 जुलाई को होगी सुनवाई, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 3, 2023 19:59 IST2023-07-03T19:57:00+5:302023-07-03T19:59:40+5:30
19 मई को, केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में आईएएस और दानिक्स अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग का अधिकार लेते हुए एक अध्यादेश जारी किया था। अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस कदम को सेवाओं के नियंत्रण पर शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन बताया था।

सर्वोच्च न्यायलय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ दिल्ली सेवा अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर 4 जुलाई, मंगलवार को सुनवाई करेगी। केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
CJI DY Chandrachud led bench will hear a plea tomorrow, by Delhi Govt challenging the constitutionality of the Delhi Services Ordinance pic.twitter.com/TLZRBFg5p0
— ANI (@ANI) July 3, 2023
अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था कि अध्यादेश असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 239एए में संशोधन नहीं करता है और एक निर्वाचित सरकार से नियंत्रण छीनकर एक गैर-निर्वाचित एलजी के हाथों में सौंपता है।
बता दें कि 19 मई को, केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में आईएएस और दानिक्स अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग का अधिकार लेते हुए एक अध्यादेश जारी किया था। अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस कदम को सेवाओं के नियंत्रण पर शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन बताया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजधानी में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने के एक सप्ताह बाद यह अध्यादेश जारी किया गया था।
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के अलावा राजनीतिक दलों से समर्थन पाने की कोशिश में भी जुटे हैं। केजरीवाल का कहना है कि बीजेपी के पास इस अध्यादेश को राज्यसभा में पास कराने लायक बहुमत नहीं है। इसलिए अगर सभी विपक्षी दल एक हो जाएं तो भाजपा को मुंह की खानी पड़ सकती है।
केजरीवाल इसे केंद्र की तानाशाही बता रहे हैं। उनका कहना है कि यदि दिल्ली में यह अध्यादेश लागू हो जाता है तो दिल्ली में जनतंत्र खत्म हो जाएगा। फिर दिल्ली वाले जो मर्जी सरकार चुनें उनकी कोई पावर नहीं होगी। फिर एलजी के जरिए केंद्र सरकार सीधे दिल्ली सरकार चलाएगी, चाहे लोग किसी भी पार्टी की सरकार चुनें। दिल्ली के बाद एक एक करके सभी राज्यों में जनतंत्र खत्म कर दिया जाएगा। वो दिन दूर नहीं जब प्रधानमंत्री 33 राज्यपालों/एलजी के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे।