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Saran Seat LS polls 2024: रूडी के सामने रोहिणी!, राबड़ी देवी को हरा चुके हैं राजीव प्रताप, जानें समीकरण और भूगोल

By एस पी सिन्हा | Updated: March 18, 2024 15:40 IST

Saran Seat LS polls 2024: राजद खेमे में लालू परिवार के सबसे करीबी माने जाने वाले सुनील सिंह ने भी इस बात का इशारा कर दिया है।

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ठळक मुद्देलालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को सारण की सीट दे दी गई है।फेसबुक अकाउंट से रोहिणी आचार्य को सारण सीट देने की मांग की है। कार्यक्रम में नाच गाने का जमकर लुत्फ उठाया था।

Saran Seat LS polls 2024: संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सारण संसदीय क्षेत्र हमेशा से हाई प्रोफाइल रहा है। यह धरती लोक सांस्कृतिक के जनक भिखारी ठाकुर के लोक नाट्य के कारण भी अंतरराष्ट्रीय पहचान रखती है। इस सीट से वर्तमान में राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं, उन्होंने 2014 में राबड़ी देवी को 45 हजार मतों से हराया था। जदयू उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा था। लालू प्रसाद यादव सारण लोकसभा सीट से सांसद हुआ करते थे। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस बार राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या यहां से चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि, कुछ लोग इस संसदीय सीट पर जितेंद्र राय को मौका देने की मांग भी कर रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यह तय है कि लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को सारण की सीट दे दी गई है।

राजद खेमे में लालू परिवार के सबसे करीबी माने जाने वाले सुनील सिंह ने भी इस बात का इशारा कर दिया है। उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से रोहिणी आचार्य को सारण सीट देने की मांग की है। इससे पहले लालू यादव इधर लगातार छपरा दौरा कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने राजद कार्यालय का जायजा लिया था।

इसी महीने लालू यादव बलुआ में भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक कार्यक्रम में नाच गाने का जमकर लुत्फ उठाया था। इसके तुरंत बाद यह दूसरा दौरा छपरा के लोगों के बीच कौतूहल पैदा कर रहा है कि आखिर बार-बार लालू यादव और उनके पारिवारिक सदस्यों के छपरा आगमन के पीछे का रहस्य क्या है? यहां से लालू यादव, राबड़ी देवी और भाजपा मंत्री राजीव प्रताप रूडी चुनाव लड़ चुके हैं।

लालू यादव का राजनीतिक कैरियर 1977 के लोकसभा चुनाव में छपरा सीट से जीत के साथ शुरू हुआ था, उन्होंने 1989 में फिर से प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन, एक साल बाद जब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला तो उन्होंने यह सीट खाली कर दी थी।

वर्ष 2004 में चारा घोटाले में घिरने पर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले लालू ने फिर से छपरा और मधेपुरा से लोकसभा चुनाव लड़ा और छपरा सीट को बरकरार रखा था। चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण 2013 में अयोग्य ठहराए जाने तक, लालू सारण से सांसद थे।

परिसीमन के बाद यह सीट इसी नाम से जानी गई। हालांकि, इसके बाद से यह सीट भाजपा के राजीव प्रताप रूडी के पास है, जिन्होंने 2014 में लालू की पत्नी राबड़ी देवी को हराया था। 2019 में राजद ने चंद्रिका राय को टिकट दिया पर उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था। चंद्रिका राय ऐश्वर्या के पिता हैं। ऐश्वर्या तेजप्रताप यादव की पत्नी हैं, लेकिन अब दोनों एक दूसरे से अलग हो गए हैं।

लालू यादव और रूडी सारण से जीतकर केंद्र के मंत्रिमंडल में शामिल हो चुके हैं, जबकि राबड़ी को यह मौका नहीं मिल पाया। रूडी से राबडी देवी 2014 लोकसभा चुनाव में हार गई थीं। पहले सारण छपरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 2008 में परिसीमन के सिफारिशों के आधार पर सारण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का गठन किया गया।

सारण जितना राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है उतना ही ऐतिहासिक रूप से गर्व महसूस कराता है। इसी धरती पर श्रीराम ने अहिल्या को मुक्ति दिलाई थी। सारण अंग्रेजों के समय व्यापार का केंद्र हुआ करता था और यहां के लोगों ने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को भगाने में अहम भूमिका निभाई थी। सारण में जातीय समीकरण तब दिलचस्प हो जाता है जब राजद और भाजपा उम्मीदवार आमने-सामने होते हैं।

यहां यादवों की संख्या 25 फीसदी, राजपूतों की 23 फीसदी, वैश्य 20 फीसदी, अल्पसंख्यक 13 फीसदी और दलित 12 फीसदी हैं। इस लिहाज से पार्टियां यहां राजपूत और यादव उम्मीदवार पर ही दांव खेलती है। सारण लोकसभा क्षेत्र 1967 तक कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। लेकिन जनता दल और क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत बढ़ने के कारण कांग्रेस का जनाधार घटता चला गया।

1952 में पहली बार यहां से कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिन्हा लोकसभा चुनाव जीते थे और आखिरी बार योगेश्वर प्रसाद योगेश चुनाव जीतने में सफल रहे थे। सारण लोक सभा में छह विधान सभा क्षेत्र हैं-छपरा, सोनपुर, परसा, मढ़ौरा, अमनौर और गडख़ा। यहां मतदाताओं की संख्या 1655701 है, जिसमें पुरुष- 888612, महिला- 767089, जबकि थर्ड जेंडर- 35 हैं। 

बता दें कि गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा यह क्षेत्र बेहद उपजाऊ है। प्राचीन काल में सारण की भूमि वनों के विस्तार और यहां के हिरणों के कारण प्रसिद्ध था। चिरांद यहां का सबसे महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल है। महाजनपद काल में सारण कौशल का हिस्सा था।

गण्डकी नदी के किनारे पर भगवान धधेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर यहां बेहद लोकप्रिय स्थल है। इस क्षेत्र में रेल पहिया कारखाना, डीजल रेल इंजन लोकोमोटिव कारखाना, चीनी मिल, मॉडर्न मिल आदि प्रमुख सरकारी औद्योगिक संस्थान हैं।

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