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Same Sex Marriages: मुस्लिम धर्मगुरु उतरे विरोध में, कहा- "कुदरत ने लड़कों-लड़कियों को एक-दूसरे के लिए अलग-अलग बनाया है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 17, 2023 14:55 IST

समलैंगिकता को मसले पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना साजिद ने कहा कि शीर्ष अदालत ऐसी शादियों को मान्यता न दे क्योंकि यह पश्चिमी मुल्कों द्वारा किया गया गुनाह है, जो अब भारत में भी हो रहा है। 

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ठळक मुद्देसमलैंगिकता को मसले पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना साजिद ने कहा यह पश्चिमी देशों का गुनाह हैसमलैंगिक विवाह की प्रथा भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैसुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को आपराधिक श्रेणी से नहीं हटाया जाना चाहिए

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर एक महत्वपूर्ण सुनवाई की। वहीं दूसरी ओर इस मामले में समाज के विभिन्न तबके में जमकर रोष है।

समलैंगिकता को लेकर हो रहे विरोध के क्रम में मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना साजिद ने कहा कि शीर्ष अदालत को ऐसी शादियों को मान्यता नीं दी जानी चाहिए और समलैंगिकता को गुनाह करार दिया जाए। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मौलाना रशीदी ने कहा कि समलैंगिक विवाह कभी भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं रहा है, वास्तव में यह पश्चिमी मुल्कों से ली गई उधार की एक प्रथा है।

उन्होंने कहा, "समलैंगिक विवाह की प्रथा भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है और वास्तव में यह सभ्यता पश्चिम के देशों से आयात की गई है। यूरोपीय और पश्चिम मुल्क इन चीजों के बारे में खुले हैं लेकिन भारत में ऐसी प्रथाओं को कभी भी प्रोत्साहित या अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।"

मौलाना रशीदी ने कहा, "हमारे मुल्क में सभी वैवाहिक प्रथाएं हमारी प्रथाओं और सामाजिक मूल्यों के अनुसार बनी हैं।"

इसके साथ ही रशीदी ने साल 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, "समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का साल 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत था। समलैंगिकता को कभी भी आपराधिक श्रेणी से नहीं हटाया जाना चाहिए। किसी पुरुष का पुरुष या महिला का महिला से विवाह सीधे तौर पर अप्राकृतिक है। कुदरत ने लड़कों और लड़कियों को एक-दूसरे के लिए अलग-अलग बनाया है।"

उन्होंने कहा, "समलैंगिक विवाह के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की मांग वाली याचिका भारतीय संस्कृति को खराब करने की साजिश है। मैं अभी भी सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करूंगा कि इसे अपराध घोषित किया जाए।"

मालूम हो कि पांच जजों की संविधान पीठ में सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा ने सर्व सम्मती से फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव न हो।

चीफ चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा कि कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विपरीत लिंग के जोड़े ही अच्छे माता-पिता साबित हो सकते हैं क्योंकि यह समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव होगा।

टॅग्स :एलजीबीटीसुप्रीम कोर्ट
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