नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस के साथ भारत के व्यापार में वृद्धि देखी गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की राजनयिक गतिविधियों में भारतीय लोगों के हितों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जयशंकर नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में युवाओं के साथ बातचीत कर रहे थे।
पश्चिम के साथ रूस के व्यापारिक संबंधों में बड़े बदलाव के बारे में बताते हुए विदेश मंत्री ने कहा, "रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन संघर्ष के बाद वह रास्ता बंद कर दिया गया। रूस अब एशिया की ओर अधिक रुख कर रहा है। यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार लगभग 12-14 बिलियन डॉलर था, पिछले साल हमारा व्यापार 40 बिलियन डॉलर था।"
डॉ जयशंकर ने समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में कहा, "तो आप देखेंगे कि एशियाई अर्थव्यवस्थाएं भागीदार बन जाएंगी। मुझे लगता है कि हमें इस बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं। हमें रूस के साथ अपने संबंध जारी रखने चाहिए और देखना चाहिए कि भारतीय लोगों के हितों की सर्वोत्तम सेवा कैसे की जाती है।"
जयशंकर ने बताया कि विदेश नीति के फैसले हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं।
उन्होंने कहा, "अच्छी विदेश नीति के बिना, पेट्रोल की कीमत बहुत अधिक होगी, खाना पकाने के तेल की कीमत बहुत अधिक होगी, आपके द्वारा खरीदा जाने वाला अगला आईफोन (कीमत) बहुत अधिक होगा।" यूक्रेन पर मॉस्को के हमले को लेकर पश्चिम द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत ने रूस से कच्चा तेल आयात करने के अपने फैसले का मजबूती से बचाव किया है।
भारत ने रूस से तेल आयात करना जारी क्यों रखा है, इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर है और यह सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व और नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने लोगों को सबसे अच्छा सौदा दिलाए।
रूस से तेल खरीदना जारी रखने के भारत के फैसले पर यूरोप की अस्वीकृति पर निशाना साधते हुए उन्होंने दिसंबर में बताया था कि यूरोपीय संघ ने भारत की तुलना में रूस से बहुत अधिक तेल और गैस का आयात किया था।