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21 दिनों के बड़े इंतजार के बाद आज सुबह घर आया नवीन शेखरप्पा का पार्थिव शरीर, सीएम बोम्मई बोले बिल्कुल ना मुमकिन था ये काम

By आजाद खान | Updated: March 21, 2022 11:17 IST

ज्ञानगौदर की पार्थिव शरीर के भारत आने पर सीएम बोम्मई ने कहा कि किसी युद्ध क्षेत्र से नागरिक का पार्थिव शरीर लाना किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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ठळक मुद्देपूरे 21 दिन बात ज्ञानगौदर की पार्थिव शरीर को देश वापस लाया गया है।एयरपोर्ट पर मृतक छात्र के परिवार वाले, सीएम बोम्मई समेत अन्य लोग भी वहां पहुंचे थे।अंतिम श्रद्धांजलि के बाद ज्ञानगौदर की पार्थिव शरीर को एक निजी अस्पताल को दान दे दिया जाएगा।

MBBS Student Naveen Shekharappa: युद्धग्रस्त यूक्रेन में रूस की गोलाबारी में मारे गए कर्नाटक के एक मेडिकल छात्र का पार्थिव शरीर सोमवार को यहां हवाई अड्डे पर पहुंचा। गौरतलब है कि ‘खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी’ में मेडिकल के अंतिम वर्ष के छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की एक मार्च को संघर्ष क्षेत्र में मौत हो गई थी। ज्ञानगौदर के परिवार के सदस्य, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित कुछ अन्य लोग पार्थिव शरीर लेने के लिए हवाई अड्डे पहुंचे। इसके बाद शव को ज्ञानगौदर के पैतृक स्थान हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक के चालगेरी गांव ले जाया गया। 

आपको बता दें कि पूरे 21 दिन बाद ज्ञानगौदर की पार्थिव शरीर को देश वापस लाया गया है। उसके पूरे परिवार वालों ने ज्ञानगौदर की पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए अपनी एडी चोटी की जोर लगा दी थी। आखिरकार उनकी मेहनत काम आई और अब वे उनका अंतिम सस्ंकार अच्छे से कर पाएंगे। 

क्या कहा सीएम बोम्मई ने

बोम्मई ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्ञानगौदर ने संघर्ष क्षेत्र में अपनी जान गंवा दी। मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ज्ञानगौदर की मां पार्थिव शरीर को देश लाने के लिए लगातार गुहार लगा रही थीं। शुरू में, हम युद्ध क्षेत्र से शव लाने की संभावना को लेकर भी संशय में थे। यह एक कठिन कार्य था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विशाल कूटनीतिक क्षमता से पूर्ण किया।’’ 

युद्ध क्षेत्र से नागरिक का पार्थिव शरीर लाना चमत्कार से कम नहीं-सीएम बोम्मई

यूक्रेन से हजारों छात्रों को घर वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह (पार्थिव शरीर लाना) असंभव था क्योंकि ज्यादातर समय हम युद्ध क्षेत्रों से अपने सैनिकों के पार्थिव शरीर नहीं ला पाते हैं। एक आम नागरिक का पार्थिव शरीर लाना, किसी चमत्कार से कम नहीं है।’’ आपको बता दें कि ज्ञानगौदर के माता-पिता ने अंतिम श्रद्धांजलि देने के बाद शव को दावनगेरे के एक निजी अस्पताल को दान करने का फैसला किया है। 

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