राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित श्रम संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने शनिवार को सरकार से कहा कि वह घिसे-पिटे उपायों के बजाय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के नये उपाय सामने लाये।
बीएमएस ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने पर भी सुरक्षा की दृष्टि से आपत्ति जताई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये करीब दो महीने से लागू लॉकडाउन की मार से अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिये घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त के उपायों की यहां एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी।
बीएमएस ने एक बयान में कहा, "पहले तीन दिन की उमंग के बाद वित्त मंत्री की घोषणाओं का चौथा दिन देश और देश के लोगों के लिये दुखद दिन है।’’
आठ क्षेत्रों कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डे, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा पर ध्यान दिया गया है, लेकिन सरकार कह रही है कि निजीकरण को छोड़कर इसका कोई विकल्प नहीं है। यह इस बात का को दर्शाता है कि सरकार संकट के समय में आर्थिक हालत सुधारने के उपाय नहीं सोच पा रही है।’’
उसने कहा कि हर बदलाव का असर सबसे पहले कर्मचारियों पर पड़ता है। कर्मचारियों के लिये निजीकरण का मतलब बड़े पैमाने पर संबंधित क्षेत्र में नौकरी का नुकसान, निम्न गुणवत्ता से निम्न नौकरियां, लाभ कमाना और शोषण का ही नियम बन जाना है।
संगठन ने कहा कि निगमीकरण और पीपीपी से निजीकरण का रास्ता तैयार होता है, और निजीकरण अंतत: विदेशीकरण के लिये जमीन तैयार करता है।
संगठन ने कहा है कि अंतरिक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अंतरिक्ष खोज के क्षेत्र में निजीकरण का ‘हमारी सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।