लखनऊ: देश का पावर कैपिटल ऑफ इंडिया कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट का चुनाव बेहद रोचक हो गया। इस सीट पर अपना दल (एस) ने छानबे विधानसभा सीट से पार्टी की विधायक रिंकी कोल चुनाव मैदान में उतारा हैं, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने छोटेलाल खरवार को खड़ा किया है। छोटेलाल वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीते थे।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस सीट पर धनेश्वर गौतम पर दांव लगाया है लेकिन धनेश्वर गौतम इस सीट पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में रिंकी कोल और छोटेलाल खरवार के बीच में ही इस सीट पर सीधी लड़ाई हो रही हैं। लेकिन इस चुनावी संघर्ष में इस सीट से सांसद पकौड़ी लाल कोल के सवर्णों के खिलाफ दिए गए तीखे भाषण ही रिंकी कोल के लिए मुसीबत बन रहे हैं, पकौड़ी लाल कोल के रिंकी कोल के ससुर हैं।
इसलिए कटा पकौड़ी लाल का टिकट :
अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल को इस संभावित संकट का अहसास था। इसलिए अनुप्रिया ने सवर्णों के खिलाफ पकौड़ी लाल कोल के दिए गए भाषणों का संज्ञान लेते हुए उनका टिकट काट कर रिकी कोल को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया, ताकि अनुसूचित जाति-जनजाति आदिवासी बहुल इस सुरक्षित सीट से रिकी कोल को भाजपा की मदद से जिताया जा सके, परंतु इस सीट पर आसानी से जीत दर्ज करने वाले राजग की प्रत्याशी रिंकी कोल को इस बार कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा रहा है। इसके पीछे दो प्रमुख वजहें हैं।
पहली वजह तो यह है कि मिर्जापुर की तर्ज पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस सीट पर भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल को खड़ा कर कड़ी चुनौती पेश की है, जबकि दूसरी चुनौती रिंकी के ससुर और अपना दल (एस) के मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल के उन बयानों से मिल रही है, जो उन्होंने सवर्णों के खिलाफ दिए थे। विपक्षी नेता पकौड़ी लाल कोल द्वारा सवर्णों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी वाले ऑडियो को रिंकी कोल के खिलाफ हथियार बना रहा है। पकौड़ी कोल के बयानों का ऑडियो सोनभद्र के गांव-गांव में सुना जा रहा है। जिसके चलते सवर्ण समाज खफा होकर रिकी कोल को वोट ना देने का बात कर रहा है। इसके अलावा इस सीट पर बेरोजगारी का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया जा रहा है। युवाओं में बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी-योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी भी यहां देखने को मिल रही है।
डैमेज़ कंट्रोल में जुटीं अनुप्रिया
फिलहाल इलाके के लोगों की नाराजगी के बारे में अनुप्रिया पटेल को भनक लगी है और यहां डैमेज़ कंट्रोल में जुट गई हैं। अब वह यह बता रही है कि बीते पांच वर्षों के दौरान उन्होंने सोनभद्र के विकास के लिए क्या-क्या किया है। कैसे बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से सटे सोनभद्र जिले को विकास के रास्ते पर लाने में जुटी हैं। बालू और पत्थरों की खदानों और अन्य खनिज भंडारों के सोनभद्र जिले अब सोनांचल कहा जाने लगा है को देश का पावर हब और इस जिले को देश की ऊर्जा राजधानी बनाने का प्रयास कर रही हैं।
उनके इस दावे के बाद भी इस चुनाव में भी जिले का विकास बड़ा मुद्दा बना हुआ है और इस मुद्दे की आड़ में अपना दल एस के नेता अपनी सांसद पकौड़ी लाल के विवादित भाषणों से लोगों का ध्यान बटाने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि रिंकी कोल की राह में बन रहे शूल उनके ससुर के भाषणों के कांटे हटाए जा सके। यह सब करते हुए यहां जातीय के सवाल को बड़ा किया जा रहा है क्योंकि जब चुनाव जातीय समीकरणों पर होने लगे तो बाकी के सारे मुद्दे गौण हो जाते हैं।
रॉबर्ट्सगंज का सियासी समीकरण और दावा :
इस सीट पर अनुसूचित जाति के करीब 4 लाख, अनुसूचित जनजाति के 1.75 लाख मतदाता हैं। यादव मतदाताओं की संख्या करीब 1.75 और ब्राह्मण मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं। एक लाख कुशवाहा, 80 हजार पटेल और 40 हजार राजपूत मतदाता है। यहां करीब 60 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। दलित मतदातों को यहां बसपा का कोर वोटबैंक माना जाता है, लेकिन बसपा उम्मीदवार यहां अपना प्रभाव छोड़ पाने में सफल नहीं हुए हैं।
ऐसे में दलित मतदाताओं पर अपना दल (एस) और सपा के उम्मीदवार नजर गड़ाए हुए हैं। अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल इस सीट पर मोदी और योगी सरकार पर कायम जनता के भरोसे को रिकी कोल के लिए बड़ा संबल मान रही हैं। उनका कहना है कि यहां के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मुफ्त राशन, उज्ज्वला, आयुष्मान जैसी योजनाओं के लाभार्थियों का समर्थन रिकी कोल को मिलेगी और वह तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए चुनाव जीतेंगी।