Bihar Election Scam: चुनाव कर्मी ने रोजाना खाया 10 प्लेट खाना?, भोजन, नाश्ता, पानी और चाय पर 180000000 रुपए खर्च, पटना में एक और घोटाला!
By एस पी सिन्हा | Published: November 14, 2024 05:06 PM2024-11-14T17:06:58+5:302024-11-14T17:08:03+5:30
Bihar Election Scam: पटना के जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर एडीएम आपूर्ति के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने इस मामले की जांच की है।
Bihar Election Scam: लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार की राजधानी पटना में एक अनोखा घोटाला सामने आया है। इसमें एक चुनावकर्मी पर रोजाना 10 प्लेट खाने का खर्च दिखाया गया है। इतना ही नहीं इनके नाश्ता-पानी और चाय का बिल भी 18 करोड़ का है। यह बात तब सामने आई जब लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में खर्च के हिसाब-किताब का ब्योरा सरकार के पास आया। भोजन-नाश्ता आदि की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों ने पटना जिला प्रशासन को जो विपत्र सौंपा है, उसके अनुसार एक चुनावकर्मी ने हर रोज औसतन 10 प्लेट भोजन किया है। चुनाव में पटना जिले में करीब 20 हजार कर्मियों की ड्यूटी लगी थी। एजेंसियों ने जो विपत्र सौंपा है, उसके अनुसार भोजन, नाश्ता, पानी और चाय पर 18 करोड़ रुपए खर्च हुए है।
लेकिन जब प्रशासन ने इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि भोजन पर 2.49 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पटना के जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर एडीएम आपूर्ति के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने इस मामले की जांच की है। चुनाव के दौरान भोजन-नाश्ता आदि की तीन कंपनियों ने आपूर्ति की थी।
जांच करने वाले अधिकारियों की मानें तो मूल बिल विपत्र से लगभग 10 गुना अधिक खर्च का ब्योरा दिया गया है। कंपनियों ने दावा किया कि 18 करोड़ खर्च हुए हैं। लेकिन जब जांच टीम ने बिल विपत्रों और चुनाव कार्यस्थल का ब्योरा लिया, तो भौंचक रह गए। कंपनियों के विपत्र के अनुसार एक चुनाव कर्मी को 10 प्लेट हर रोज भोजन कराया गया है।
गहराई से इसकी छानबीन की गई तो पता चला कि बिल विपत्र में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। बिल विपत्रों की जांच में एक और चौकानेवाला तथ्य सामने आया है। डॉ चंद्रशेखर सिंह के अनुसार जांच अधिकारियों ने यह पाया है कि जहां पुलिसकर्मी का आवासन स्थल था, वहां एक हॉल में 100 के बैठने की व्यवस्था की गई थी।
ऐसे हॉल में 80 से 90 पंखे और बल्ब लगाने का दावा कर बिल दिया गया है। इसमें भी जांच करने वाले अधिकारियों को गड़बड़ी की आशंका हुई। इसके बाद संबंधित विधानसभा क्षेत्र के सहायक निर्वाचन अधिकारियों को पटना बुलाकर बिल विपत्रों की जांच कराई गई।
उसके बाद पता चला कि चुनाव के दौरान जहां पुलिसवाले ठहरे हुए थे वहां इतनी संख्या में पंखा और बल्ब लगाया ही नहीं जा सकता था। इसके बाद कंपनियों की ओर से दिए गए बिल विपत्रों का सही तरीके से सत्यापन कर शेष बिल को फर्जी घोषित कर दिया गया है।