Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का ग्रह नक्षत्र ठीक ठाक नहीं चल रहा है। पहले सीट बंटवारे को लेकर खींचतान और अब उम्मीदवारों के नामांकन पर विवाद। सबसे ताजा झटका कैमूर जिले की मोहनिया सीट से लगा है, जहां राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया है। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने 12 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। लेकिन अब नामांकन रद्द होने के बाद इस सीट पर राजद का कोई उम्मीदवार नहीं होगा।
आयोग ने श्वेता सुमन उत्तर प्रदेश का मूल निवासी मानते हुए यह फैसला लिया है। दरअसल, भाजपा ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। भाजपा का आरोप था कि श्वेता सुमन बिहार की मूल निवासी नहीं हैं बल्कि वो उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के सकलडीहा की रहने वाली हैं। भाजपा के लीगल सेल प्रमुख विद्यांचल राय ने बताया कि 2020 में श्वेता सुमन ने अपने नामांकन पत्र में यूपी का पता लिखा था, लेकिन इस बार बिहार का पता दिया है। भाजपा का कहना है कि ये गलत जानकारी देना है और यह चुनाव नियमों का उल्लंघन है।
नियमों के मुताबिक आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने का अधिकार सिर्फ बिहार के मूल निवासी को ही हो सकता है। इसलिए इस पर कार्रवाई की जाए। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए निर्वाचन आयोग ने श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया। उल्लेखनीय है कि मोहनिया विधानसभा सीट से इस बार भाजपा की संगीता कुमारी और राजद की श्वेता सुमन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा था।
संगीता कुमारी ने 2020 के चुनाव में राजद के टिकट पर जीत दर्ज की थी और भाजपा उम्मीदवार निरंजन राम को 12 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। लेकिन 2024 में वे भाजपा में शामिल हो गईं और अब एनडीए की उम्मीदवार हैं। अब श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद मोहनिया सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि यह फैसला महागठबंधन के लिए बड़ा झटका है, खासकर उस वक्त जब तेजस्वी यादव सीट बंटवारे के विवाद को संभालने में जुटे हैं।
वहीं, नामांकन रद्द होने पर श्वेता सुमन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा और उनके उम्मीदवार को मुझ से, मेरी पार्टी और राजद की सरकार के आने का डर है। इसीलिए वे अन्याय कर रहे हैं... मैं यहां 20 साल से रह रही हूं।