जमीनी स्तर पर विकास प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक पंचायत के स्थानीय निवासियों की तीन लाख रुपये तक की निविदा प्रक्रिया में भागीदारी को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने यहां कहा कि निविदाओं के लिए अपर्याप्त प्रतिक्रिया की स्थिति में, पड़ोसी पंचायतों के बोली लगाने वालों को शामिल करने के लिए, मानदंडों में ढील दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस निर्णय का उद्देश्य स्थानीय भागीदारी के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाना और विकास कार्यों के त्वरित निष्पादन को बढ़ावा देना है जिससे सृजित संपत्ति के सार्वजनिक स्वामित्व को भी बढ़ावा मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि पंचायतों के निवासी, जो निविदा प्रक्रिया में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें पंजीकरण की एक सरल प्रणाली में पंजीकरण कराना होगा। इसका प्रबंधन उपायुक्त के स्तर पर किया जाएगा। प्रवक्ता ने कहा कि ये पंजीकरण आधार, पैन कार्ड और अधिवास प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजी सबूतों के आधार पर किए जाएंगे, जबकि सत्यापन प्रक्रिया पंचायतों और स्थानीय पुलिस के माध्यम से ही पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वित्त विभाग की ओर से विस्तृत निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
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