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रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तलोजा जेल से रिहा

By स्वाति सिंह | Updated: November 11, 2020 20:59 IST

शीर्ष अदालत ने अर्नब गोस्वामी के साथ ही इस मामले में दो अन्य व्यक्तियों-नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख -को भी 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया।

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ठळक मुद्देरिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तलोजा जेल से रिहा किया गया।पीठ ने इन्हें यह निर्देश भी दिया कि वे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के आत्महत्या के लिये उकसाने के मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी को बुधवार को अंतरिम जमानत देते हुये कहा कि अगर व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित की जाती है तो यह न्याय का उपहास होगा। शीर्ष अदालत ने विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के राज्य सरकारों के रवैये पर गहरी चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय है। शीर्ष अदालत ने अर्नब गोस्वामी के साथ ही इस मामले में दो अन्य व्यक्तियों-नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख -को भी 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने इन्हें यह निर्देश भी दिया कि वे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे।

पीठ ने अपने तीन पेज के आदेश में कहा कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में गोस्वामी और इन दो व्यक्तियों की अंतरिम जमानत की अर्जी अस्वीकार करना ‘गलत था।‘ पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘हमारी सुविचारित राय है कि उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत के लिये आवेदन अस्वीकार करना गलत था। हम तद्नुसार आदेश और निर्देश देते हैं कि अर्नब गोस्वामी, फिरोज मोहम्मद शेख ओर नीतीश सारदा को जेल अधीक्षक के समक्ष 50-50 हजार रुपए का निजी मुचलका भरने पर अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जायेगा।’’ न्यायालय ने आदेश में आगे कहा, ‘‘हालांकि, उन्हें जांच में सहयोग करने और जांच में हस्तक्षेप करने या गवाहों के साथ हस्तक्षेप का कोई प्रयास नहीं करने का निर्देश दिया जाता है। संबंधित जेल प्राधिकारियों और रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि इस आदेश पर तुरंत अमल किया जाये।’’

अर्नब और अन्य आरोपियों ने अंतरिम जमानत के साथ ही इस मामले की जांच पर रोक लगाने और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने का अनुरोध उच्च न्यायालय से किया था। उच्च न्यायालय प्राथमिकी रद्द करने के लिये दायर याचिकाओं पर 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा। गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तारी के बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर दिया था। अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। 

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