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जलवायु परिवर्तन से देश में हर साल मर सकते हैं 15 लाख लोग, औसत तापमान चार डिग्री बढ़ने की आशंका

By भाषा | Updated: October 31, 2019 21:01 IST

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अध्ययन के परिणाम जारी करते हुए कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन हम पर निर्भर करता है। इसका असर हम मानसून में बदलाव, सूखा, गर्म लहरों के रूप में देख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण हम कई समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसमें पानी का संकट एक बड़ी समस्या है। इन नई चुनौतियों को देखते हुए सरकार बहु-आयामी दृष्टिकोण अपना रही है।

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ठळक मुद्देयदि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन इसी दर से बढ़ता रहा तो 2100 तक देश का औसत तापमान चार डिग्री तक बढ़ सकता है। इसके कारण देश में सालाना 15 लाख से अधिक लोगों के जीवन को खतरा पैदा होने की आशंका है।

यदि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन इसी दर से बढ़ता रहा तो 2100 तक देश का औसत तापमान चार डिग्री तक बढ़ सकता है। इसके कारण देश में सालाना 15 लाख से अधिक लोगों के जीवन को खतरा पैदा होने की आशंका है।

एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। क्लाइमेट इंपैक्ट लैब और यूशिकागो के टाटा सेंटर फॉर डेवलपमेंट ने जीवन तथा अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के असर का अध्ययन किया। अध्ययन के परिणाम बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में यूशिकागो (यूनिवर्सिटी आफ शिकागो) सेंटर में जारी किये गये।

अध्यन रपट के आधार पर जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ दशक बाद 35 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान वाले बेहद गर्म दिनों की औसत संख्या आठ गुना बढ़कर 42.8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

वर्ष 2010 में ऐसे बेहद गर्म दिनों की संख्या 5.10 प्रतिशत थी। देश के सबसे गर्म राज्य पंजाब का औसत तापमान 2010 के करीब 32 डिग्री से बढ़कर 2100 तक 36 डिग्री पर पहुंच गया। तब देश के 16 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों का औसत तापमान 32 डिग्री से अधिक होगा।

अध्ययन के अनुसार, बढ़ते औसत तापमान और बेहद गर्म दिनों की बढ़ती संख्या का असर मृत्यु दर पर पड़ता है। इसके कारण कुछ दशक बाद देश में सालाना 15 लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है। अनुमान है कि इनमें 64 प्रतिशत मौतें छह राज्यों उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र में होंगी।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अध्ययन के परिणाम जारी करते हुए कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन हम पर निर्भर करता है। इसका असर हम मानसून में बदलाव, सूखा, गर्म लहरों के रूप में देख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण हम कई समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसमें पानी का संकट एक बड़ी समस्या है। इन नई चुनौतियों को देखते हुए सरकार बहु-आयामी दृष्टिकोण अपना रही है।

हम पारम्परिक जल निकायों के संरक्षण का आह्वान कर रहे हैं। ऐसी फसलों को प्रोत्साहन दे रहे हैं, जिनमें पानी की कम मात्रा का उपयोग होता है। साथ ही हम भूमिगत जल प्रबंधन को बढ़ावा दे रहे हैं- इन सब प्रयासों से भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सुरक्षित बनाया जा सकता है।’’

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