करीब दो दशक पहले चार महीने की मादा गैंडा गंगा ने अपनी मां को ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ में खो दिया था, लेकिन अब उसे एक और नदी के किनारे अपना घर मिल गया है और वह चार बच्चों की स्वस्थ मां है। असम के प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ के चलते अनाथ हुई गंगा को पार्क की परिधि पर शरण मिली थी, जहां वह बड़ी हुई और फिर उसे उसके प्राकृतिक आशियाने में छोड़ दिया गया।भारतीय वन्यजीव न्यास (डब्ल्यूटीआई) के रथिन बर्मन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गंगा 2003 में काजीरंगा में वन्यजीव पुनर्वास एवं संरक्षण केन्द्र (सीडब्ल्यूआरसी) द्वारा बचाई गई दूसरी मादा गैंडा थी।सीडब्ल्यूआरसी के कर्मचारियों की सहायता से दोनों को चार साल बाद उनके जन्मस्थान से लगभग 300 किमी दूर मानस नेशनल पार्क (एमएनपी) में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वे वर्षों से फल-फूल रहे हैं।एमएनपी के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों ने एक-दूसरे से उनके लगाव के चलते उनका नाम गंगा-जमुना रख दिया। वे पार्क में भेजी गई मादा गैंडों की दूसरी खेप में शामिल थीं। इनसे एक साल पहले सीडब्ल्यूआरसी ने ही मैनौ (स्थानीय बोडो भाषा में लक्ष्मी) को मानस पार्क भेजा था। बर्मन ने कहा कि गंगा ने इस साल जुलाई के अंतिम सप्ताह में अपने चौथे बच्चे को जन्म दिया, जबकि जमुना के तीन बच्चे हैं। मैनौ की कुछ साल पहले प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई थी। वह तीन बच्चों की मां थी।केंद्र की स्थापना 2002 में केन्द्र सरकार के सहयोग से असम सरकार, भारतीय वन्यजीव न्यास (डब्ल्यूटीआई) और अंतरराष्ट्रीय जीव कल्याण कोष (आईएफएडब्ल्यू) द्वारा की गई थी।
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