नई दिल्ली: पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और स्तंभकार तारेक फतेह की मौत पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक बयान जारी कर श्रद्धांजलि दी है। संघ ने अपने श्रद्धांजलि संदेश में तारेक फतेह को एक प्रख्यात विचारक, लेखक और टिप्पणीकार कहा। संघ के संदेश में कहा गया,"मीडिया और साहित्य जगत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। वे पूरा जीवन अपने सिद्धांतों और विश्वास के लिए प्रतिबद्ध रहे और अपने साहत और दृढ़ विश्वास के लिए वे सम्मानित रहे।"
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, "उनके परिवार, दोस्त और उनके चाहने वाले, जो उन्हें हमेशा याद करेंगे, उनके प्रति मेरी संवेदना। मैं उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं और दिवंगत आत्मा की सद्गति के लिए प्रार्थना करता हूं।"
बता दें कि पिछले काफी समय से कैंसर से जूझ रहे तारेक फतेह का लंबी बीमारी के बाद 73 साल की उम्र में 24 अप्रैल 2023 को निधन हो गया। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी ने ट्वीटर पर दी। फतेह की बेटी नताशा ने ट्वीट किया, 'पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे।
कनाडा में रहने वाले लेखक तारेक फतेह इस्लाम और आतंकवाद पर अपने प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाते थे। पाकिस्तान पर अपने उग्र रुख के लिए जाने जाने वाले तारेक फतेह ने कई बार केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को अपना समर्थन व्यक्त किया था। इससे वह भारत में भी कुछ राजनीतिक दलों के निशाने पर रहते थे। तारेक फतेह का जन्म कराची में 1949 में हुआ था। 1987 में वह कनाडा चले गए। उन्हें अपनी रिपोर्टिंग के लिए कई अवार्ड मिले थे। इसके अलावा प्रमुख अखबारों में उनके लेख छपा करते थे। अक्सर इस्लामिक कट्टरपंथियों की आलोचना के कारण सुर्खियों में रहने वाले तारेक फतेह को कई बार जान से मारने की धमकी भी मिली थी।
साल 1978 में उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया और सऊदी अरब चले गए। साल 1987 में वह वहां से कनाडा जा कर टोरंटो के पास एजेक्स शहर में बस गए। तारेक फतेह कहते थे, 'मैं पाकिस्तान में जन्मा भारतीय हूं, इस्लाम में पैदा हुआ पंजाबी हूं, एक मुस्लिम चेतना के साथ कनाडा में एक प्रवासी और मार्क्सवाद से प्रेरित युवा हूं।' वह खुलकर कहते थे कि उनके पूर्वज हिंदू थे और हिंदुस्तान का हर शख्स हिंदू है। अपनी विचारधारा के कारण वह संघ के भी चहेते थे।