राज्यसभा उपचुनाव में उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार सुधांशु त्रिवेदी निर्विरोध जीत गए। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन से यह सीट खाली हुई थी। सुधांशु त्रिवेदी वर्तमान में बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और बीते शुक्रवार को नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने पर्चा भरा था। उनके सामने किसी और ने नामांकन नहीं किया था इसलिए पहले से ही उनका निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा था।
राजनीतिक हल्कों में सुगबुगाहट है कि पार्टी ने उन्हें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश कर रही है। सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी हाजिर जवाबी और तार्किक शक्ति के चलते बहुत कम समय में व्यापक स्तर पर लोकप्रियता हासिल की है। वह अक्सर समाचार चैनलों की डिबेट में प्रभावशाली तरीके और मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए देखे जाते हैं।
सुधांशु त्रिवेदी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। राजनीति में उनका झुकाव बीजेपी के लिए काफी फलदायी रहा। उनके नाम सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री का सूचना सलाहकार बनने का रिकॉर्ड कायम है। वहीं, महज 35 वर्ष की उम्र में वह भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार बन गए थे।
राजनाथ सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब सुधांशु त्रिवेदी उनके सूचना सलाहकार बने थे। राजनाथ के पार्टी अध्यक्ष बनने पर वह उनके राजनीतिक सलाहकार भी बने थे।
भारत की राष्ट्रीय नीति, राजनीति, समाज और विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक पहलुओं के मुद्दों पर पक्ष रखने के लिए सुधांशु त्रिवेदी उत्साही वक्ता माने जाते हैं। सुधांशु त्रिवेदी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हैं।
उनका ज्ञान और भारतीय राजनीति में तीव्र रुचि ने उन्हें काफी युवावस्था में ही मुख्यधारा में ला दिया था।
वह बीजेपी की मीडिया और संचार की एक कोर टीम के उन सदस्यों में से एक थे, जिन्होंने सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और अमित शाह के लिए प्रचार प्रसार किया था।
2019 के लोक सभा चुनावों में, वह मीडिया और साहित्य समिति के सदस्य के साथ राजस्थान के सह-प्रभारी भी बने थे।