इम्फाल: भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में महीनों से हिंसा का सिलसिला अब भी जारी है। राज्य में हिंसा के कारण अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है वहीं कई लोग बेघर हो गए हैं।
हिंसा की आग इतनी विकराल हो गई है कि अब इसमें राजनीतिक दलों के नेता भी चपेट में आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि गुरुवार को केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के घर को भीड़ ने अपना निशाना बनाया और आग लगा दी।
कल देर रात रंजन सिंह के घर में आग लगी जिसमें पूरा घर जलकर राख हो गया। गनीमत ये रही कि इस घटना के वक्त घर में कोई मौजूद नहीं था।
अपने आवास के भीड़ द्वारा जलाए जाने पर केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा, "कल रात जो कुछ हुआ उसे देखकर बेहद दुख हुआ। मुझे बताया गया कि 50 से अधिक बदमाशों ने रात करीब 10 बजे मेरे घर पर हमला किया। भूतल और पहली मंजिल को नुकसान पहुंचाया गया है। मेरा निवास। उस दौरान न तो मैं या मेरे परिवार का कोई व्यक्ति मौजूद था। शुक्र है कि कोई घायल नहीं हुआ।"
आरके रंजन सिंह ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, "आंख के बदले आंख से पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी। हिंसा किसी भी कारण से मदद नहीं करती है। जो लोग इस हिंसा में लिप्त हैं वे देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं। वे मानवता के दुश्मन हैं।"
आरके रंजन सिंह खुद मेती समुदाय से आते हैं और इस समय वह केरल में है। मणिपुर स्थित उनके घर पर आगजनी के समय न तो उनका परिवार वहां था न वो ही वहां मौजूद थे।
मणिपुर की राजधानी इंफाल में हिंसा के कारण 14 जून को नौ लोगों की मौत हो गई थी जबकि 10 से ज्यादा घायल हो गए थे। कल, राज्य सरकार ने राज्य में इंटरनेट पर प्रतिबंध को 20 जून तक बढ़ा दिया। बुधवार को, उपद्रवियों ने इंफाल पश्चिम में मणिपुर के मंत्री नेमचा किपगेन के आधिकारिक आवास को जलाने की कोशिश की।
उनका घर आंशिक रूप से जल गया। पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर राज्य में इंटरनेट पर पाबंदी सहित पाबंदियां लगी हुई हैं। ये हिंसा 3 मई को फैली जिसकी आग अभी तक नहीं बुझ पाई है।
3 मई को उस वक्त ये हिंसा हुई जब अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में मेइतेई/मीतेई को शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान झड़पें हुईं।
उच्च न्यायालय के एक निर्देश के मद्देनजर राज्य में जातीय हिंसा एक महीने से अधिक समय से जारी है, जिसमें राज्य सरकार को अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की सूची में मेइती समुदाय को शामिल करने पर विचार करने के लिए कहा गया है।