जयपुर सिलेंडर बम पर खड़ा है। रसद विभाग की मिलीभगत से जगह जगह पर नियमों की अनदेखी कर खुले में सिलेंडरों का जमावड़ा, असुरक्षित हालत में ठेलों पर बनती चाय-पकौड़ी, मिठाई की दुकानों पर नियमों को ताक में रख जयपुर के अधिकांश बाजारों और चैराहों पर संचालित फुटकर और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर सिलेंडर का उपयोग फिर बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
रसद विभाग की चुप्पी ने मामले को बिगाड़ रही है। शहरी क्षेत्र में गैस के गोदाम कभी भी बडे विस्फोटक बन सकते हैं।
राजस्थान में लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के बाद भी प्रदेश सरकार सोई हुई है और तेल कंपनियों की लापरवाही पर कोई कार्रवाई नहीें होती। विधानसभा एवं सचिवालय के निकट सिलेंडरों का जमावड़ा, महेश नगर, बरकत नगर, मानसरोवर, कावेरी पथ आदि पर खुले में सिलेंडर पड़े दिखाई देते हैं। ये अवैध डंपिग स्थल कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।
रसद विभाग की मिलीभगत से जनता की जान की परवाह किये बगैर गैस कंपनियों को खुली छूट दे रखी है और गैस एजेंसियों ने जयपुर को बारूद का ढेर बना रखा है। यूडीएच बीते एक दशक से आबादी इलाकों से गैस गोदामों को दूर करने के लिए निर्देश दे चुका है लेकिन अधिकांश जगहों पर ये आदेश हवा में उड़ाए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जयपुर के अमरूदों के बाग में दिन भर लगभग 200 से 300 काॅमर्शियल सिंलेडर रहते हैं जो किसी अनहोनी को न्यौता देते प्रतीत होते हैं।