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राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम उन राज्यों में शामिल जहां बुजुर्गों का जीवनस्तर बेहतर : रिपोर्ट

By भाषा | Updated: August 11, 2021 19:53 IST

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नयी दिल्ली, 11 अगस्त राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और मिजोरम उन शीर्ष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल हैं जहां पर बुजुर्ग आबादी का जीवन स्तर गुणवत्ता के लिहाज से बेहतर है। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है।

‘बुजुर्गों के लिये जीवन गुणवत्ता सूचकांक’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट को इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस ने तैयार किया है। इस रिपोर्ट में राज्यों को दो श्रेणियों बुजुर्ग (जहां वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 50 लाख से अधिक है) और ‘अपेक्षाकृत बुजुर्ग’ (जहां बुजुर्गों की आबादी 50 लाख से कम है) में बांटा गया है।

बुजुर्ग राज्यों की श्रेणी में राजस्थान शीर्ष पर है जहां बुजुर्गों का जीवन स्तर बेहतर है। वहीं, इस श्रेणी में दूसरे और तीसरे पायदान पर क्रमश: महाराष्ट्र और बिहार हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक ‘अपेक्षाकृत बुजुर्ग’ श्रेणी के राज्यों में हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर है जबकि उत्तराखंड और हरियाणा इस श्रेणी के राज्यों में क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

चंडीगढ़ और मिजोरम को क्रमश: केंद्र शासित प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों की श्रेणी में सबसे अधिक अंक मिले हैं।

वहीं, इसके उलट बुजुर्ग राज्यों की श्रेणी में तेलंगाना और गुजरात को सबसे कम अंक मिले हैं। वरिष्ठ नागरिकों के जीवनस्तर के लिहाज से जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को क्रमश: केंद्र शासित प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों की श्रेणी में सबसे निचले पायदान पर रखा गया है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने रिर्पोट जारी करते हुए कहा, ‘‘भारत को अकसर युवा समाज के रूप में पेश किया जाता और इसके जनसांख्यिकी लाभांश पर बात होती है लेकिन प्रत्येक देश तेजी से जनसांख्यिकी बदलाव की प्रक्रिया के दौर से गुजरता है और भारत भी बुजुर्ग होती आबादी की समस्या की ओर बढ़ रहा है।’’

इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए चार अहम आधारों- वित्तीय स्थिति, सामाजिक स्थिति, स्वास्थ्य प्रणाली और आय सुरक्षा- पर गौर किया गया। इसके तहत आठ उप आधारों- आर्थिक सशक्तिकरण, शैक्षणिक स्तर व रोजगार, सामाजिक स्थिति, शारीरिक सुरक्षा, मूलभूत स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, साामजिक सुरक्षा और सशक्त करने वाले माहौल- पर जीवनस्तर की गुणवत्ता का आकलन किया गया।

इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस के अध्यक्ष अमित कपूर ने कहा, ‘‘बुजुर्ग होती आबादी के प्रभाव को समझने का तरीका ईजाद किए बिना नीति निर्माताओं के लिए इस आबादी के लिए योजना बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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