जयपुर: राजस्थानहाई कोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सहकारी समिति घोटाला मामले में राहत देते हुए एडीजे अदालत के आदेशों पर बुधवार (5 अगस्त) को रोक लगा दी। एडीजे ने अपने आदेश में मजिस्ट्रेट अदालत को निर्देश दिया था कि वह आपराधिक शिकायत को आगे की जांच के लिए विशेष अभियान समूह (एसओजी) के पास भेजे।
शिकायत में घोटाले के कथित आरोपी के रूप में शेखावत और अन्य को नामित किया गया और एसओजी से उनकी भूमिका की आगे जांच करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की एकल पीठ ने अंतरिम निर्देश पारित करते हुए केवल चंद डाकालिया द्वारा दायर आपराधिक विविध याचिका को भी स्वीकार किया। वह शेखावत के साथ सह-आरोपी हैं।
डाकालिया के वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि आरोपियों के खिलाफ विशिष्ट आरोप थे और निचली अदालत द्वारा आदेश पारित किए जाने पर उन पर सुनवाई की आवश्यकता थी। पीठ ने याचिका स्वीकार की और अंतरिम आदेश पारित किए।
'संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी' घोटाले की जांच में गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम
23 जुलाई को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित रूप से 884 करोड़ रुपये के 'संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी' घोटाले के जांच के आदेश दिए गए थे।
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शिकायत में गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ ही उनकी पत्नी और अन्य के नाम भी शामिल हैं। इस घोटाले में हजारों निवेशकों ने कथित तौर पर करीब 900 करोड़ रुपये गंवाए। एसओजी की जयपुर ईकाई पिछले साल से इस घोटाले की जांच कर रही है। इस संबंध में प्राथमिकी 23 अगस्त 2019 को दर्ज की गई थी।