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राजस्‍थान मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है, फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं, कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 29, 2023 18:27 IST

राजस्थान मंत्रिमंडल में फेरबदल के सवाल पर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, ‘‘अगर सभी कहेंगे तो (मंत्रिमंडल में फेरबदल) करेंगे, लेकिन मेरे ख्याल में अभी हमारा ऐसा कोई विचार नहीं है।’’

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ठळक मुद्देविधानसभा अध्‍यक्ष डॉ सीपी जोशी से मुलाकात के बाद यह बात कही।मंत्रियों से फीडबैक ले रहे हैं और संगठन को मजबूत करने को कह रहे हैं।पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सचिन पायलट ने भी यहां विधानसभा अध्यक्ष जोशी से मुलाकात की।

जयपुरः कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने शनिवार को कहा कि अगर सभी ओर से मांग आती है तो राज्‍य मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है लेकिन फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है। रंधावा ने यहां विधानसभा अध्‍यक्ष डॉ सीपी जोशी से मुलाकात के बाद यह बात कही।

राज्‍य मंत्रिमंडल में फेरबदल के सवाल पर उन्होंने मीडिया से कहा, ‘‘अगर सभी कहेंगे तो (मंत्रिमंडल में फेरबदल) करेंगे, लेकिन मेरे ख्याल में अभी हमारा ऐसा कोई विचार नहीं है।’’ इससे पहले रंधावा ने यहां मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। उन्‍होंने कहा कि वह मंत्रियों से फीडबैक ले रहे हैं और उनसे पार्टी संगठन को मजबूत करने को कह रहे हैं।

रंधावा ने कहा, ‘‘मैंने मंत्रियों से कहा है कि केवल ऐसा ही नहीं होना चाहिए कि आप सरकार के लिए काम कर रहे हो। आपको साथ-साथ संगठन के लिए भी काम करना चाह‍िए।’’ उन्होंने कहा क‍ि चुनाव में जाते हैं तो संगठन व सरकार दोनों की बात होती है इसलिए वह मंत्रियों से संगठन को मजबूत करने के ल‍िए बात कर रहे हैं।

उल्‍लेखनीय है कि रंधावा से पहले, पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सचिन पायलट ने भी यहां विधानसभा अध्यक्ष जोशी से मुलाकात की। पायलट ने इस मुलाकात को अनौपचारिक बताया। वहीं रंधावा ने कहा कि डॉ. जोशी से उनके पुराने संबंध हैं और वह कांग्रेस चलते फ‍िरते 'इंसाइक्लोपीडिया' हैं जिन्‍हें हरेक कार्यकर्ता की जानकारी है। 

रंधावा शनिवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के उस आरोप को एक तरह से खारिज करते नजर आए कि सितंबर में गहलोत खेमे के विधायकों की समानांतर बैठक आलाकमान के खिलाफ बगावत थी। रंधावा ने कहा कि वह अतीत को लेकर नहीं चलना चाहते और भविष्य की बात कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पायलट ने पिछले साल 25 सितंबर को पार्टी विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक करके पार्टी आलाकमान के निर्देशों की कथि‍त अवहेलना करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर हाल ही में सवाल उठाया था।

गौरतलब है कि गहलोत समर्थक इन विधायकों ने इस बैठक के बाद पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था।

तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। पायलट के आरोप के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राजस्थान प्रभारी रंधावा ने जुलाई 2020 में पायलट खेमे द्वारा बगावत का उल्लेख किया। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "कुछ लोग कहते हैं क‍ि कोरोना से पहले बगावत हुई थी। मैं इन बातों को या अतीत को ज्‍यादा लेकर नहीं चलना चाहता। मैं भविष्‍य की बात कर रहा हूं।''

रंधावा ने कहा, ‘‘हम नेताओं को भविष्‍य के बारे में सोचना चाहिए और साथ ही साथ अतीत से सबक भी लेना चाहिए ताकि दुबारा ऐसी गलती न हो।" इसके साथ ही रंधावा ने कहा कि राज्‍य में पार्टी एकजुट है। जुलाई 2020 में, पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके कारण राज्य में एक महीने तक राजनीतिक संकट बना रहा।

यह संकट पार्टी आलाकमान द्वारा हस्तक्षेप के बाद समाप्‍त हुआ और पायलट को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया जाएगा। उल्‍लेखनीय है कि राज्‍य में दिसंबर 2018 में राजस्थान कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच अनबन चल रही है।

पायलट ने 23 अप्रैल को झारखंड महादेव मंद‍िर में पूजा-अर्चना करने के बाद मीडिया से बात करते हुए 25 सितंबर की घटना का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा, "यह सही है कि 25 सितंबर को हुई घटना तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेशों का खुला उल्लंघन था।

(पार्टी अध्यक्ष) मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन का खुलेआम अपमान किया गया था। उन (विधायकों) के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यह प्रश्न है जिसका उत्तर पार्टी ही दे सकती है।” उल्‍लेखनीय है कि पायलट, पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामलों में मौजूदा गहलोत सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं क‍िए जाने को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में एक दिन के अनशन पर बैठे और अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोल दिया।

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